ओवरलोड ट्रक के गोरखधंधे में दो प्रभारी एआरटीओ प्रवर्तन समेत चार गिरफ्तार, पूर्व में छह हो चुके हैं गिरफ्तार

ओवरलोड ट्रक को पास कराने के नाम पर अवैध वसूली में लिप्‍त दो एआरटीओ प्रभारी प्रवर्तन, एक सिपाही और प्राइवेट चालक को गोरखपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पूर्वांचल के 21 जिले में इस गोरखधंधे का जाल फैला चुके दो सरगना सहित छह लोगों को एसटीएफ 25 दिन पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. ओवरलोड ट्रकों को अवैध रूप से एंट्री के नाम पर आरटीओ विभाग के बड़े अधिकारियों ने भी मोटी काली कमाई की है.

ओवरलोड ट्रकों को पास कराने के नाम पर अवैध वसूली का गोरखधंधा करने वालों की धरपकड़ के लिए गोरखपुर के कैण्‍ट थाने के सीओ सुमित शुक्‍ला के नेतृत्‍व में एसआईटी का गठन किया गया है. पुलिस को 15 सालों में सरकार को करोड़ों के राजस्‍व का चूना लगाने वाले इस गोरखधंधे में चार लोगों को आज गिरफ्तार करने में सफलता मिली है. पूरे सबूत जुटाने के बाद एसआईटी टीम ने संतकबीरनगर के प्रभारी एआरटीओ प्रवर्तन संदीप चौधरी और बस्‍ती प्रभारी एआरटीओ प्रवर्तन शैलेन्‍द्र कुमार तिवारी के साथ एक सिपाही और निजी चालक को गिरफ्तार किया है.

यूपी एसटीएफ ने इस मामले में 24 जनवरी को इस मामले में गिरोह के सरगना बेलीपार इलाके के डवरपार के मेहरौली गांव का रहने वाला धर्मपाल सिंह और मनीष सिंह उर्फ सिक्‍कू सिंह सहित इनके चार साथियों मेहरौली के विवेक सिंह, श्रवण कुमार, राम सजन पासवान और देवरिया जिले के मदनपुर इलाके के मेहन कपरवारघाट के शैलेष मल्‍ल को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. इनका जाल पूर्वांचल के गोरखपुर, बस्ती, बलिया, गाजीपुर सहित 21 से अधिक जिलों में फैला हुआ है. एक ओवर लोड ट्रक को पास कराने के लिए ट्रक मालिक से 2500 से 4500 रुपये लेते थे. सरगना और अधिकारियों को उनका हिस्सा भेजते थे.

गोरखपुर के बेलीपार इलाके के मधुबन ढाबे से बड़े पैमाने पर ये धंधा जोर-शोर से चल रहा था. एसटीएफ ने पूरे सबूतों के साथ जब 24 जनवरी को ढाबे पर छापा मारा, तो वहां एसटीएफ को ओवरलोडिंग के गोरखधंधे को संचा‍लित करने वाले 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. ये गोरखधंधा आरटीओ विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से होता रहा है. गोरखधंधे में लिप्‍त छह लोगों की गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ ने इनके पास से एक रेनाल्‍ट डस्‍टर कार, स्‍कार्पियो, 12 मोबाइल, अवैध वसूली का 28,400 रुपए नकद, 35 डायरी और रजिस्‍टर जिसमें कई जनपदों के आरटीओ विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों का नाम, बैंक खाते का विवरण, माह-वर्षवार अलग-अलग जनपदों का अलग-अलग वाहनों सूचीवार गाड़ी नंबर सहित मालिकों का विवरण भी बरामद किया था. इसके साथ ही कई बैंकों की चेकबुक और एटीएम कार्ड, वाहनों की आरसी और डीएल की फोटो कॉपी बरामद की थी.

पूर्वांचल के कई शहरों में भारी वाहनों से अवैध वसूली कर उन्‍हें पास कराए जाने के नाम पर अवैध वसूली की सूचना मिल रही थी. इसी आधार पर उत्‍तर प्रदेश शासन ने इसकी जांच यूपी एसटीएफ को सौंपी थी. इसके साथ ही आवश्‍यक कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए थे. यूपी एसटीएफ के पुलिस महानिरीक्षक अमिताभ यश और यूपी एसटीएफ के प्रभारी एसएसपी विशाल विक्रम सिंह ने एसटीएफ फील्‍ड इकाई गोरखपुर को जांच सौंपी थी. पुलिस उपाधीक्षक एसटीएफ विनोद कुमार सिंह और धर्मेश कुमार शाही के पर्यवेक्षण में टीम निरीक्षक सत्‍य प्रकाश सिंह के नेतृत्‍व में गठित टीम ने आरोपियों को गिरफ्तार किया. टीम को मधुबन ढाबे पर अवैध वसूली के हिसाब-किताब की सूचना मिली थी.

एसटीएफ ने 24 जनवरी को छह आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद ये जानकारी दी थी कि इनका संगठित गिरोह है, जो पूर्वांचल के गोरखपुर, बस्‍ती, बलिया, गाजीपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, संतकबीरनगर, चंदौली, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, आजमगढ़, मऊ जनपदों में सक्रिय हैं. वे ओवरलोड वाहनों को पास कराने में मदद करते हैं. इसके एवज में ट्रक ड्राइवरों से रुपए वसूलते हैं. इसमें कुछ हिस्‍सा गैंग के सदस्‍यों का होता है. इनका एक साथी आरटीओ विभाग का हिस्‍सा लेकर संबंधित जनपद के अधिकारियों और कर्मचारियों का हिस्‍सा नकद दे देता है. कुछ ट्रक की वसूली का रुपया बैंक खाते में आता है. ये प्रति वाहनों से 2,500 से 4,500 रुपए वसूलते रहे हैं. इस गैंग ने हर रोज सैकड़ों ट्रकों को पास कराने का ठेका ले रखा था. ओवरलोड वाहनों के मालिक खुद भी मधुबन ढाबा में आकर अवैध वसूली का रुपया पहुंचा दिया जाता रहा है.

गोरखपुर से अजित कुमार कि रिपोर्ट

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