बंगला बना विवाद की वजह! पूर्व CJI ने तोड़े नियम, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को चिट्ठी में कहा – ‘अब बहुत हुआ… खाली कराओ बंगला

पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वजह न्यायिक फैसले नहीं, बल्कि उनका सरकारी बंगले से समय पर न निकलना है। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इस बात पर चिंता जताई है कि चंद्रचूड़ तय सीमा से अधिक समय तक 5, कृष्ण मेनन मार्ग स्थित टाइप VIII बंगले में रह रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लिखा पत्र, बंगला वापस लेने की मांग

1 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट एडमिनिस्ट्रेशन ने आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को पत्र भेजा है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 5, कृष्ण मेनन मार्ग का बंगला पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के कब्जे में है और उन्हें जो अधिकतम समय की छूट मिली थी—वह 31 मई 2025 को समाप्त हो चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि यह बंगला तुरंत खाली कराया जाए ताकि उसे हाउसिंग पूल में शामिल कर चार जजों को राहत दी जा सके, जिन्हें अब तक सरकारी आवास नहीं मिला है।

सुप्रीम कोर्ट में चार जजों को अब तक नहीं मिला बंगला

सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल स्वीकृत संख्या 34 है, जिनमें से वर्तमान में 33 पद भरे हैं। इन 33 जजों में से चार जज अभी तक किसी सरकारी बंगले में नहीं रह रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, इन चार में से तीन जज ट्रांजिट अपार्टमेंट में हैं और एक जज स्टेट गेस्ट हाउस में ठहरे हुए हैं। यह स्थिति कोर्ट की आंतरिक व्यवस्था और वरिष्ठता को प्रभावित कर सकती है।

नियम क्या कहते हैं? रिटायरमेंट के बाद कितने दिन तक रह सकते हैं CJI?

सरकारी नियमों के अनुसार, किसी भी मुख्य न्यायाधीश को कार्यकाल के दौरान टाइप VIII बंगला मिलता है। लेकिन रिटायरमेंट के बाद वह केवल छह महीने तक टाइप VII बंगले में बिना किराये के रह सकते हैं।
चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को रिटायर हुए थे, लेकिन आठ महीने बाद भी वे उसी टाइप VIII बंगले में रह रहे हैं, जो अब नियमों के विरुद्ध है।

बेटियों की ज़रूरतों की वजह से फैसला

पूर्व मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने कोर्ट प्रशासन को इस देरी की जानकारी पहले ही दे दी थी।
उनके अनुसार :”मैं तय सीमा से अधिक समय तक सरकारी बंगले में नहीं रहना चाहता था, लेकिन मेरी बेटियों को कुछ विशेष सुविधाओं वाले घर की आवश्यकता थी।”
उन्होंने यह भी बताया कि वह फरवरी से लगातार दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं—जैसे सर्विस अपार्टमेंट्स और होटल—but “वो अनुकूल नहीं लगे।”

बंगला अभी भी क्यों नहीं बदला गया?

स्रोतों के मुताबिक, चंद्रचूड़ के रिटायरमेंट के बाद उनके दोनों उत्तराधिकारी—न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और वर्तमान CJI बी.आर. गवई ने यह बंगला नहीं लिया। वे अभी तक अपने पुराने सरकारी आवासों में ही रह रहे हैं।
इसी वजह से 5, कृष्ण मेनन मार्ग का बंगला भी खाली नहीं हुआ और चंद्रचूड़ उसमें बने रहे।

क्या कानून के रखवाले खुद नियमों की अनदेखी कर सकते हैं?

यह मामला महज़ एक बंगले तक सीमित नहीं है—यह सुप्रीम कोर्ट जैसे संवैधानिक संस्थान की आंतरिक पारदर्शिता, अनुशासन और नियम-पालन की प्रतिबद्धता पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
जब सुप्रीम कोर्ट प्रशासन को सरकार को पत्र लिखकर एक पूर्व CJI से बंगला खाली कराने की मांग करनी पड़े, तो यह एक गंभीर स्थिति की ओर इशारा करता है।

 

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