“ये जो बाप का प्यार होता है… वो हर प्यार का बाप होता है”, वीडियो देख रोक नहीं पाएंगे आंसू

सोशल मीडिया पर एक भावुक कर देने वाला वीडियो वायरल हो रहा है, जिसे देखकर शायद आप भी अपनी आंखों के आंसू नहीं रोक पाएंगे। वीडियो में एक पिता रोज़ अपने मृत बेटे से मिलने पार्क आता है, और दावा किया जा रहा है कि वो उस बच्चे की आत्मा को महसूस करता है — उसके साथ खेलता है, बातें करता है और झूले पर झुलाता है।

सुनने में अजीब लगता है, लेकिन वीडियो दिल को छू लेने वाला है। एक रिपोर्टर के नाते मैं खुद को न्यूज़ लिखने से रोक नहीं पाया… क्योंकि यह केवल एक वायरल वीडियो नहीं, बल्कि एक पिता की न थमने वाली मोहब्बत की कहानी है।

वीडियो में क्या है खास?

इस वीडियो में एक पार्क का दृश्य है। कैमरा एक झूले की ओर केंद्रित है, जो बिना किसी बच्चे के अपने आप धीरे-धीरे हिल रहा है। उस झूले के पास एक शख्स बैठा है— बताया जा रहा है कि वह अपने दिवंगत बेटे का पिता है। वह शख्स कहता है कि उसका बेटा अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसकी आत्मा उसे रोज़ मिलने आती है। वो उसके लिए खिलौने लेकर आता है, बातें करता है और झूले पर झुलाता है।

पिता की आंखों में बस एक ही चेहरा— बेटे का

इस वीडियो में कोई डर, कोई सनसनी या कोई अंधविश्वास नहीं है— यह सिर्फ एक पिता की टूटी हुई दुनिया में बची एक छोटी सी उम्मीद की झलक है।
उस पिता की आंखों में हर रोज़ अपने बेटे को देखने की आस होती है, और शायद इसी ने उसे जीना सिखाया है।

हम अंधविश्वास नहीं फैला रहे… पर भावना से आंखें नम हैं

एक पत्रकार होने के नाते मैं जानता हूं कि हर चीज़ को तथ्यों से परखा जाना चाहिए। लेकिन कुछ चीज़ें फीलिंग्स से महसूस की जाती हैं, तर्क से नहीं।
हम यह नहीं कह रहे कि आत्माएं सच में आती हैं, न ही किसी चमत्कार का दावा कर रहे हैं। परंतु यह वीडियो इतना भावनात्मक है कि इसे अनदेखा करना इंसानियत के खिलाफ सा लगता है।

वीडियो के पीछे क्या है सच्चाई?

अब तक इस शख्स की पहचान नहीं हो पाई है, और वीडियो के स्थान की पुष्टि भी नहीं हुई है। मगर इस वायरल वीडियो ने लाखों लोगों को भावुक कर दिया है।कई यूजर्स इसे “बाप-बेटे के रिश्ते की सबसे सच्ची तस्वीर” बता रहे हैं, तो कुछ इसे “प्यार की हदें पार करने वाला पल” कह रहे हैं।

कुछ रिश्ते कभी खत्म नहीं होते…

मौत सिर्फ शरीर को ले जाती है, लेकिन रिश्तों और यादों की आत्मा अमर होती है। यह वीडियो एक पिता की उसी आत्मा का प्रतिबिंब है—जो रोज़ अपने बेटे से मिलने आता है, चाहे कोई माने या ना माने।

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