हैरान कर देगा ये फ्रॉड: देशभक्ति या पैसे कमाने का ज़रिया ? यूपी में ‘भारतीय पुलिस प्रोटेक्शन फोर्स’ का भंडाफोड़ !

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के किशनी क्षेत्र में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां अरविंद पांडेय नामक व्यक्ति ने ‘भारतीय पुलिस प्रोटेक्शन फोर्स’ और ‘हिंदुस्तान रक्षा धर्म ट्रेनिंग सेंटर’ के नाम से एक फर्जी सेना भर्ती प्रशिक्षण केंद्र संचालित किया। इस सेंटर में सेना, नेवी, एयरफोर्स और सीआरपीएफ में भर्ती का झांसा देकर युवाओं से मोटी रकम वसूली गई। सेंटर में सेना जैसी वर्दियां, नकली एयर गन, फर्जी दस्तावेज और अन्य सामग्री का इस्तेमाल किया गया था।
यूट्यूब विज्ञापन के माध्यम से युवाओं को फंसाया
तेलंगाना के करीमनगर जिले के रामचंद्रपुर कॉलोनी निवासी अशोक पुत्र राजइया ने किशनी पुलिस को शिकायत दी कि उन्होंने 21 जून 2024 को यूट्यूब पर एक विज्ञापन देखा, जिसमें उक्त फर्जी ट्रेनिंग सेंटर का प्रचार किया गया था। अशोक और उनके साथियों—सागर, चंद्रशेखर, श्रीकांत, रवितेजा, विजय और लक्ष्मण—ने अरविंद से संपर्क किया और प्रशिक्षण के लिए 1.20 लाख रुपये ऑनलाइन तथा 1.30 लाख रुपये नकद दिए। इसके अलावा, कन्नौज निवासी अर्पित बाजपेई से भी 4 लाख रुपये की ठगी की गई।
पुलिस की कार्रवाई और बरामद सामग्री
शिकायत मिलने के बाद, पुलिस ने अरविंद पांडेय और उसकी महिला सहयोगी सुमित्रा सेनापति को गिरफ्तार किया। पूछताछ में पता चला कि उन्होंने लगभग 50 लोगों से कुल 50 लाख रुपये की ठगी की है। पुलिस ने उनके पास से सेना जैसी वर्दियां, नकली एयर गन, फर्जी दस्तावेज, लैपटॉप और अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद की। गैंग का एक अन्य सदस्य प्रकाश शाह अभी फरार है, जिसकी तलाश में पुलिस आगरा में दबिश दे रही है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई
एसपी गणेश प्रसाद साहा ने प्रेस वार्ता में बताया कि ‘भारतीय पुलिस प्रोटेक्शन फोर्स’ नाम से संचालित यह सेंटर पूरी तरह फर्जी था। पुलिस ने अरविंद पांडेय, सुमित्रा सेनापति और प्रकाश शाह के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। प्रकाश शाह की गिरफ्तारी के लिए टीमें गठित की गई हैं। पुलिस अन्य पीड़ितों से भी संपर्क कर रही है ताकि ठगी की पूरी राशि और प्रभावित लोगों की संख्या का पता चल सके।
यह मामला दर्शाता है कि कैसे फर्जीवाड़ा करने वाले लोग युवाओं की भावनाओं और उनके करियर की आकांक्षाओं का फायदा उठाते हैं। युवाओं को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी भर्ती या प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने से पहले उसकी सत्यता की जांच अवश्य करें और सरकारी वेबसाइट्स या आधिकारिक स्रोतों से ही जानकारी प्राप्त करें।