दंगे की आड़ में निर्दोष किसान नेताओं को न बनाएं बलि का बकरा : मायावती

केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 26 जनवरी के दिन उग्र हो गया जिसके बाद कुछ किसान संगठनों ने अपने कदम आंदोलन से पीछे खींच लिए। लेकिन इसके बाद सरकार की कार्यवाई को लेकर विपक्ष एक हो गया है।

इस बीच बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती (Mayawati) ने ऐलान किया है कि आज संसद में हुए राष्ट्रपति के अभिभाषण का उनकी पार्टी बहिष्कार करती है। साथ ही उन्होंने सरकार पर निशाना भी साधा है।

मायावती ने ट्वीट करते हुए कहा है कि बी.एस.पी. ने, देश के आन्दोलित किसानों के तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने की माँग नहीं मानने व जनहित आदि के मामलों में भी लगातार काफी ढुलमुल रवैया अपनाने के विरोध में, आज मा. राष्ट्रपति के संसद में होने वाले अभिभाषण का बहिष्कार करने का फैसला लिया है।

 

इसके बाद उन्होंने एक और ट्वीट करते हुए लिखा, साथ ही, कृषि कानूनों को वापस लेकर दिल्ली आदि में स्थिति को सामान्य करने का केन्द्र से पुनः अनुरोध तथा गणतंत्र दिवस के दिन हुए दंगे की आड़ में निर्दोष किसान नेताओं को बलि का बकरा न बनाए। इस मामले में यूपी के बीकेयू व अन्य नेताओं की आपत्ति में भी काफी सच्चाई। सरकार ध्यान दे।

इतना ही नहीं, उन्होंने राष्ट्रपति के भाषण के बाद उसकी निंदा भी की है। उन्होंने इस बार में ट्वीट करते हुए कहा, संसद के संयुक्त अधिवेशन में मा. राष्ट्रपति का अभिभाषण खासकर किसानों व गरीबों आदि के लिए घोर निराशाजनक। कृषि के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने वाला किसान तीन कृषि कानूनों की वापसी को लेकर काफी आन्दोलित है व सरकारी प्रताड़ना झेल रहा है जिसपर सरकारी चुप्पी दुःखद।

 

इसके बाद उन्होंने एक और ट्वीट किया और लिखा, बीएसपी ने केन्द्र सरकार द्वारा काफी अपरिपक्व तरीके से लाए गए नए कृषि कानूनों का संसद में व संसद के बाहर हमेशा विरोध किया है। देश के गरीबों, दलितों व पिछड़ों आदि की तरह किसानों के शोषण व अन्याय के विरूद्ध व इनके हक के लिए भी बीएसपी हमेशा आवाज उठाती रहेगी।

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