पकड़ा गया यूपी का सीरियल किलर ‘डॉक्टर डेथ’.. 50 से ज्यादा कत्ल.. मगरमच्छों वाली नहर में फेंकता था शव

दिल्ली पुलिस ने भारत के सबसे खतरनाक और शातिर सीरियल किलर्स में से एक, अलीगढ़ के देवेंद्र शर्मा उर्फ़ “डॉक्टर डेथ” को राजस्थान के दौसा जिले के एक आश्रम से गिरफ्तार कर लिया है। वह पिछले कई महीनों से फरार चल रहा था और गिरफ्तारी के वक्त पुजारी के वेश में प्रवचन दे रहा था। देवेंद्र शर्मा पर 50 से अधिक लोगों की हत्या का आरोप है। उसने शवों को मगरमच्छों से भरी नहर में फेंक कर सुराग मिटा दिए थे।

125 अवैध ट्रांसप्लांट से शुरू हुआ अपराध का खेल

देवेंद्र शर्मा की आपराधिक यात्रा 1994 से शुरू होती है, जब उसने गैस एजेंसी के घाटे के बाद किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का रास्ता पकड़ा। 1998 से 2004 के बीच वह 125 से अधिक अवैध किडनी ट्रांसप्लांट करने के आरोप में गिरफ्तार हुआ। हर ट्रांसप्लांट के लिए वह 5 से 7 लाख रुपए तक वसूलता था। दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में उसका नेटवर्क फैला हुआ था।

शव फेंकता था मगरमच्छों वाली नहर में

हत्या के लिए वह खासतौर पर टैक्सी ड्राइवरों को निशाना बनाता था। टैक्सी बुक करता और सुनसान जगह ले जाकर ड्राइवर की हत्या कर देता। फिर शव को उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले की हजारा नहर में फेंक देता, जहां मगरमच्छ शव को खा जाते थे। इस तरकीब से पुलिस को कोई सबूत नहीं मिलता था और वह बचता चला गया।

7 उम्रकैद और 1 फांसी की सजा झेल चुका है ‘डॉक्टर डेथ’

देवेंद्र शर्मा को अब तक 8 हत्याओं के मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है। 7 मामलों में उसे उम्रकैद की सजा मिली है, जबकि एक मामले—हरियाणा के गुरुग्राम में दर्ज एक मर्डर केस—में उसे फांसी की सजा सुनाई गई थी। वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद था, लेकिन अगस्त 2023 में पैरोल पर बाहर आया और फरार हो गया।

दौसा में पुजारी बनकर छिपा था, प्रवचन देते हुए पकड़ा गया

पैरोल जंप करने के बाद वह राजस्थान के दौसा जिले के एक आश्रम में पुजारी बनकर रहने लगा। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने उसकी लोकेशन को ट्रैक किया और जब टीम आश्रम पहुंची, तब वह प्रवचन दे रहा था। पुलिस ने उसे वहीं से हिरासत में ले लिया। इस गिरफ्तारी में आधा दर्जन से ज्यादा टीमें महीनों से जुटी थीं।

33 साल से गांव नहीं लौटा, परिवार से भी कोई संपर्क नहीं

देवेंद्र शर्मा मूल रूप से अलीगढ़ के छर्रा क्षेत्र के गांव पुरैनी का रहने वाला है। गांव वालों के अनुसार, वह 33 साल पहले गांव छोड़कर राजस्थान चला गया था और फिर कभी वापस नहीं लौटा। उसका पुश्तैनी मकान अब खंडहर बन चुका है। उसका भाई सुरेंद्र शर्मा CISF में दरोगा है और कासिमपुर पावर हाउस में तैनात है। माता-पिता का निधन हो चुका है। तहेरे भाई रामवीर के अनुसार, देवेंद्र ने बुलंदशहर में इंटर किया और पटना से BAMS की पढ़ाई की थी।

1994 में दर्ज हुआ था पहला आपराधिक मामला

अलीगढ़ एसपी देहात अमृत जैन के अनुसार, देवेंद्र शर्मा थाना छर्रा का हिस्ट्रीशीटर है। उस पर पहला मुकदमा 1994 में थाना बरला में कातिलाना हमले के लिए दर्ज हुआ था। उसके बाद लगातार आपराधिक गतिविधियों में उसका नाम आता रहा।

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