क्या आप जानते है बांके बिहारी और निधिवन का यह रहस्य

19 दिसंबर को वृंदावन में बांके बिहारी का 515 में प्रकट उत्सव मनाया जा रहा है मगर बाकी बिहारी कब और कहां से आए बांके बिहारी का मंदिर कैसे बना और निधिवन और बांके बिहारी का क्या रहस्य है. शायद ही आप जानते हो तो आज आपको हम बता दें कि बांके बिहारी आज से 515 साल पहले प्रकट हुए बताया जाता है कि स्वामी हरिदास जब निधिवन में भगवान का भजन किया करते थे. उस दौरान कुछ लोगों ने स्वामी हरिदास से पूछा क्या आप के भगवान हैं उस दौरान स्वामी हरिदास ने उनसे कहा कि आप सभी को बुलाओ निधिवन में,आज हम अपने भगवान को बुलाकर रहेंगे इस दौरान निधिवन में सभी समाज के लोग जुटे और स्वामी हरिदास ने अपना भजन शुरू कर दिया उन्होंने उस दौरान भजन गाया था.

“माई री सहज जोरी प्रगट भई जु रंग की गौर श्याम घन दामिनी जैसे”

उस दौरान स्वामी हरिदास ने जैसे ही यह भजन शुरू किया बताया जाता है कि उस वक्त बादलों की गर्जना शुरू हो गई और कुछ ही देर बाद भगवान राधा कृष्ण निधि वन में प्रगट हो गए उस दौरान स्वामी हरिदास ने भगवान कृष्ण से प्रार्थना की कि भगवान आपको पहनाने के लिए खिलाने के लिए और बैठाने के लिए हमारे पास जगह है, मगर राधा रानी के लिए कपड़े और खिलाने के लिए अच्छे भोजन नहीं है जिसके बाद राधा और कृष्ण एक हो गए और वहां पर एक प्रतिमा प्रकट हो गई जिसे बांके बिहारी के रूप में पूजन शुरू कर दिया गया और वह प्रतिमा आज भी बांके बिहारी के स्वरूप में बांके बिहारी मंदिर में स्थापित है कहा यह जाता है कि बांके बिहारी मंदिर के अंदर आप किसी भी कोने में खड़े हो जाइए और आप बांके बिहारी की मूर्ति को देखेंगे तो आपको लगेगा कि बांके बिहारी की मूर्ति आपको देख रही है और वहीं दूसरी तरफ निधिवन में आज भी बताया जाता है कि भगवान कृष्ण और राधा आते हैं और शयन करते हैं सुबह जब मंदिर खुलता है तो मंदिर के अंदर का भोग चढ़ा होता है और प्रसाद और शयनकक्ष अस्त व्यस्त होता है.

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