मुआवजे की चर्चा से मृत्युदर दोगुनी:मध्यप्रदेश में एक साथ 1,478 मौतें जुड़ीं तो हल्ला मचा, लेकिन ऐसे 12 राज्य और हैं जहां मौतों के आंकड़े चुपचाप बढ़ाए जा रहे हैं

मौतों के आंकड़े बढ़ने लगे हैं, देश में 21 जून तक मृत्युदर 1.30% थी, उसके बाद 2.33% हो गई। (फाइल फोटो)
21 जून को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- कोरोना महामारी से प्रभावित लोगों के लिए राहत राशि के मानक तय करना जरूरी30 जून को आदेश दिया- कोरोना से मौतों पर मुआवजा देना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है, वह इससे बच नहीं सकती
देश के 13 राज्यों में कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों की दर 25 दिन से अचानक बढ़ गई है। दरअसल, 21 जून को सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया था कि कोरोना से होने वाली मौतों पर मृतक के परिवार को मुआवजा राशि तय करनी जरूरी है। फिर 30 जून को केंद्र सरकार को आदेश भी जारी कर दिए कि मुआवजा राशि कितनी हो, उसके पात्र कौन-कौन हों, यह सबकुछ 6 हफ्ते में तय किया जाए। यानी, मुआवजा मिलना तय हो गया है। इसी बीच देश में कोरोना मरीजों की मृत्युदर लगभग दोगुनी हो गई।
21 जून तक देश में 2.99 करोड़ मरीज थे, 3.89 लाख मौतें हुई थीं, यानी मृत्युदर 1.30% थी। फिर 22 जून से 16 जुलाई तक 10.87 लाख मरीज मिले, 24,272 मौतें दर्ज हुईं, यानी इस अवधि में मृत्युदर 2.33% रही। मध्यप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, गुजरात समेत 13 राज्यों में 21 जून के बाद मृत्युदर बढ़नी शुरू हुई, लेकिन चर्चा सिर्फ मध्यप्रदेश की हुई। क्योंकि वहां 1478 मौतें एक साथ जोड़ी गईं। लेकिन, दूसरे राज्यों ने चुपचाप रोज मौतों के आंकड़े बढ़ाने शुरू किए, जो अब भी जारी है।

* मप्र ने 1478 मौतें जोड़ीं, जिससे मृत्युदर बहुत ज्यादा हो गई।
भास्कर एक्सपर्ट… अभी मौतें बढ़ने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं, पहले हुईं मौतों को एडजस्ट किया जा रहा है
देश के तीन प्रमुख वैज्ञानिकों और पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव का मानना है कि अभी मौतें बढ़ने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। राज्यों ने मौतों की रिपोर्टिंग सही तरीके से करनी शुरू कर दी है।
1. वायरस रातोरात नहीं बदलता, लेकिन मौतें अचानक बढ़ गई हैं
अभी न तो वायरस में कोई बदलाव आया है, न ही संक्रमण की रफ्तार में। वायरस में रातोरात कोई बदलाव नहीं हो सकता। लिहाजा जिन राज्यों में मृत्युदर बढ़ गई है, उन राज्यों ने मौतों की रिपोर्टिंग सही तरीके से करनी शुरू कर दी है। – डॉ. समीरन पांडा, आईसीएमआर
2. आंकड़े सही रखने से संक्रमण से लड़ने की सही रणनीति बनती है
अचानक मौतें बढ़ने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। देखना चाहिए कि क्या राज्यों ने ऑडिट सिस्टम दुरुस्त किया है। महामारी से लड़ने के लिए सही आंकड़े रखने जरूरी हैं। तभी सही रणनीति बनती है। – डॉ. रमण गंगाखेड़कर, पूर्व मुख्य वैज्ञानिक, आईसीएमआर
3. अस्पतालों में हाल पहले से बेहतर, इसलिए असल मौतें नहीं बढ़ रहीं
अभी स्थिति ऐसी नहीं है कि मौत बढ़े। ऐसा होता तो अस्पतालों में भीड़ होती। अस्पतालों में स्थिति पहले से बेहतर है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि मौतों का ऑडिट कीजिए। ये उसी का असर है। – डॉ. के. श्रीनाथ रेड्डी, अध्यक्ष, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया
4. लगता है कि राज्यों में अब पिछली मौतों को भी जोड़ा जाने लगा है
दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों और सिस्टम पर बहुत दबाव था। उस दौरान मौतों की रिपोर्टिंग सही तरीके से नहीं हुई होगी। कुछ राज्य अब इस चूक को सुधार रहे हैं तो यह अच्छी बात है। इससे आगे सही नीति बनाने में मदद मिलेगी। – प्रीति सूदन, पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव