किसान आंदोलन में सामूहिक दुष्कर्म: योगेंद्र यादव ने एसआईटी के इन सवालों का दिया जवाब, गवाह बनने को भी.. 

संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य और स्वराज इंडिया के संयोजक योगेंद्र यादव ने कहा है कि युवती का उपचार कराना जरूरी था इस कारण पुलिस को नहीं बताया। पश्चिम बंगाल की युवती से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में गठित एसआईटी को उन्होंने यह जानकारी दी। एसआईटी ने योगेंद्र यादव से मंगलवार को डेढ़ घंटे तक पूछताछ की। पुलिस ने पहले योगेंद्र यादव की पूरी बात सुनी, उसके बाद योगेंद्र यादव ने पुलिस के सवालों के जवाब दिए।एसआईटी ने योगेंद्र यादव को सोमवार शाम को नोटिस भेजा था। जिसके मिलने पर मंगलवार को वे बहादुरगढ़ पहुंचे, जहां डीएसपी के साथ ही एसएचओ भी मौजूद रहे। योगेंद्र यादव ने पुलिस को बताया कि वह 24 अप्रैल से पहले उस युवती या आरोपियों के बारे में नहीं जानते थे। 24 अप्रैल की रात को पहली बार उनकी युवती से बात हुई, जब उसके बीमार होने का पता चला और वह युवक उसे बंगाल उसके घर लेकर जाने की बात कह रहे थे।

उन्होंने तुरंत ही युवती की लोकेशन मंगवाई तो वह हांसी के पास मिली। इस पर उन्होंने उनको वापस टीकरी बॉर्डर पहुंचने के लिए कह दिया। उसके बाद उनको 25 अप्रैल को पता चला कि ट्रेन में युवती के साथ छेड़छाड़ हुई थी। लेकिन उस समय युवती की हालत को देखते हुए उपचार कराना जरूरी था।

उसे अस्पताल में भर्ती करके उसके पिता को बुलाया गया। जिसके बाद उसके पिता आ गए तो 2 मई को किसान मोर्चा को पता चला कि युवती के साथ दुष्कर्म हुआ है। पुलिस ने योगेंद्र यादव से पूछा कि 24 अप्रैल को जब युवक उस युवती को अपने साथ लेकर गए थे तो उसी समय पुलिस को क्यों नहीं बताया। जिसका जवाब देते हुए योगेंद्र ने कहा कि उन्होंने उनको वापस आने के लिए कह दिया था और लाइव लोकेशन पर वह चेक भी कर रहे थे। अगर वह वापस नहीं आते तो पुलिस को जरूर बताते। युवती का उपचार कराना जरूरी था इसलिए नहीं बताया गया।

पीड़िता का पिता असमंजस में था, विश्वास दिलाया तब पुलिस में दी शिकायत
पुलिस ने योगेंद्र यादव से यह भी पूछा कि 2 मई को युवती के साथ दुष्कर्म का पता चलने के बाद उन्होंने पुलिस को क्यों नहीं बताया। जिस पर योगेंद्र यादव ने जवाब दिया कि तब युवती के पिता वहां आ चुके थे और उनको साफ कहा गया था कि उनको ही कार्रवाई करनी चाहिए।

वह इसका ही इंतजार कर रहे थे कि पिता की तरफ से कार्रवाई की जाए। लेकिन वह इस असमंजस में थे कि इससे किसान आंदोलन को नुकसान हो सकता है। उनको विश्वास दिलाया गया कि इससे आंदोलन को नुकसान नहीं होगा और उनको कार्रवाई करनी चाहिए। तब उन्होंने पुलिस में शिकायत दी। योगेंद्र यादव ने बताया कि पुलिस ने उनसे पूछा कि क्या वह गवाह बनने को तैयार हैं तो वह गवाह बनने के लिए तैयार हो गए।

 

 

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