Viral Video: मौत से खेलना बन गया है ट्रेंड, छोटी उमर.. समझ कुछ नहीं, ट्रेन के नीचे जाकर लेट गया युवक, फिर..

आज की डिजिटल दुनिया में सोशल मीडिया का जुनून किस हद तक लोगों को अंधा कर रहा है, इसकी एक खौफनाक मिसाल सामने आई है। एक 8-10 साल के बच्चे का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह केवल एक रील बनाने के लिए ट्रेन की पटरी पर लेट जाता है, और कुछ ही सेकंड में तेज रफ्तार ट्रेन उसके ऊपर से गुजर जाती है। चमत्कारिक रूप से बच्चा बच तो गया, लेकिन यह घटना सोशल मीडिया के नशे और “वायरल होने” की होड़ को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है।
रील बनाने की दीवानगी: खतरे की हर हद को पार कर गया मासूम
वायरल वीडियो में दिख रहा है कि बच्चा ट्रेन ट्रैक के बीच जानबूझकर लेट जाता है। उसके पीछे कोई यह वीडियो रिकॉर्ड कर रहा है। कुछ ही पल में एक तेज रफ्तार ट्रेन आती है और बच्चे के ऊपर से गुजर जाती है। वीडियो देखने वालों की रूह कांप गई, लेकिन बच्चा खड़ा होकर मुस्कुराता है — मानो मौत से खेलना एक ट्रेंड बन गया हो।
छोटी उम्र, समझ की कमी और सोशल मीडिया का ज़हर
बताया जा रहा है कि यह बच्चा केवल 8 से 10 साल की उम्र का है। इतनी छोटी उम्र में ऐसा आत्मघाती स्टंट करना न सिर्फ उसकी समझ की कमी को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि सोशल मीडिया का अंधानुकरण बच्चों के मनोविज्ञान को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है।
यह मामला इस बात का उदाहरण है कि किस तरह रील्स और लाइक्स पाने की चाहत बच्चों को जानलेवा हरकतों की ओर धकेल रही है।
छोटी उमर, समझ कुछ नहीं। ट्रेन के नीचे जाकर लेट गया। सिर्फ इसलिए कि वीडियो बन जाए।
वीडियो बनाने की सनक बड़ी भयानक हो गई है। आपके आसपास ऐसे लड़के हों तो समय-समय पर इनके मां-बाप से 4-6 थप्पड़ मरवा दिया करिए। pic.twitter.com/MKRk7svpYp
— Rajesh Sahu (@askrajeshsahu) July 8, 2025
माता-पिता और समाज की जिम्मेदारी
इस घटना ने अभिभावकों और समाज को आइना दिखाया है। बच्चों को फोन देना एक बात है, लेकिन उनकी डिजिटल गतिविधियों पर निगरानी न रखना बड़ी चूक साबित हो सकता है।
अभिभावकों को यह समझने की जरूरत है कि मोबाइल और इंटरनेट बच्चों के हाथों में खेलने का साधन नहीं, बल्कि दिशा देने का माध्यम होना चाहिए।
प्लेटफॉर्म्स की जवाबदेही और कानून की जरूरत
इस तरह के वीडियो अक्सर इंस्टाग्राम रील्स, यूट्यूब शॉर्ट्स या फेसबुक पर वायरल होते हैं। सवाल उठता है कि क्या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की कोई जवाबदेही नहीं बनती?
सरकार और साइबर सेल को चाहिए कि इस तरह की जानलेवा रीलों को प्रतिबंधित करे और ऐसे कंटेंट को बढ़ावा देने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाए।
लाइक्स के लिए जान जोखिम में डालना कहाँ की समझदारी?
यह घटना हमें झकझोरने के लिए काफी है। वायरल होना कोई उपलब्धि नहीं होती, और मौत को दावत देना कोई बहादुरी नहीं। जरूरत है समाज, अभिभावकों और सरकार तीनों के संयुक्त प्रयास की — ताकि सोशल मीडिया की सनक से बच्चों की जिंदगी को बचाया जा सके।