छत्तीसगढ़ में 30 नक्सली ढेर, जंगलों में इस खास ट्रिक का हुआ इस्तेमाल.. 1 जवान शहीद, मिला हथियारों का जखीरा

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ जंगल में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच ज़बरदस्त मुठभेड़ जारी है। इस ऑपरेशन में अब तक 28 से ज्यादा नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है। नारायणपुर, बीजापुर और दंतेवाड़ा जिलों की डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) की संयुक्त टीम इस बड़े ऑपरेशन को अंजाम दे रही है।
घटना स्थल पर भारी गोलीबारी, शीर्ष नक्सली नेता घेरे में
सूत्रों के अनुसार, अबूझमाड़ के माड़ इलाके में सुबह से लगातार फायरिंग हो रही है। डीआरजी की संयुक्त टीम ने कुख्यात नक्सली लीडर रुपेश और विकल्प को भी घेरे में ले लिया है। वहीं, नक्सली संगठन के खूंखार कमांडर बसव राजू के भी मुठभेड़ में मारे जाने की खबर है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है।
नक्सलियों के शव और हथियार बरामद
अब तक की जानकारी के अनुसार, भारी संख्या में नक्सलियों के शव बरामद किए गए हैं। सुरक्षाबलों को घटनास्थल से बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी मिले हैं, जो इस ऑपरेशन की सफलता को दर्शाता है। अधिकारी मान रहे हैं कि मारे गए नक्सलियों की संख्या और भी बढ़ सकती है।
एक जवान शहीद, एक घायल
इस मुठभेड़ में सुरक्षा बलों को भी नुकसान झेलना पड़ा है। जानकारी के मुताबिक, डीआरजी का एक जवान शहीद हो गया है, जबकि एक अन्य जवान गंभीर रूप से घायल हुआ है। घायल जवान को तत्काल उपचार के लिए हेलिकॉप्टर से रायपुर रेफर किया गया है।
गृहमंत्री विजय शर्मा का बयान
छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा ने मीडिया को बताया कि, “50 घंटे से चल रहे सर्च ऑपरेशन के तहत यह मुठभेड़ हुई। अब तक 26 से अधिक नक्सली मारे जा चुके हैं और कुछ बड़े कैडर के नक्सलियों के शामिल होने की संभावना है। ऑपरेशन अभी भी जारी है और सर्च पूरा होने के बाद स्पष्ट जानकारी दी जाएगी।”
7 दिन पहले हुआ था कर्रेगुट्टा ऑपरेशन
गौरतलब है कि 7 दिन पहले ही सुरक्षा बलों ने कर्रेगुट्टा इलाके में बड़ा नक्सल ऑपरेशन चलाया था। यह ऑपरेशन छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर स्थित पहाड़ी क्षेत्र में 24 दिनों तक चला था। उस कार्रवाई में 31 नक्सली मारे गए थे, जिनमें 16 महिला और 15 पुरुष नक्सली शामिल थे।
ऑपरेशन से नक्सल नेटवर्क को करारा झटका
लगातार हो रहे ऑपरेशनों से साफ है कि छत्तीसगढ़ में नक्सल नेटवर्क को बुरी तरह से झटका लगा है। बड़े कैडर के मारे जाने से न केवल नेतृत्व में खालीपन पैदा होगा, बल्कि निचले स्तर के नक्सलियों के मनोबल पर भी गंभीर प्रभाव पड़ेगा।