हेलिकॉप्टर क्रैश में CDS बिपिन रावत 2015 में भी हुए थे चोटिल, हादसे की ये थी वजह  

2015 हेलिकॉप्टर क्रैश में बिपिन रावत हो चुके हैं चोटिल, अब फिर हुए हादसे का शिकार

Bipin Rawat Helicopter Crash2015 : चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ(CDS) बिपिन रावत(bipin rawat) समेत कई सेना के वरिष्ठ अधिकारीयों को लेकर जा रहा हेलिकॉप्टर तमिलनाडु के कुन्नूर में क्रैश हो गया है। इस हादसे में 13 लोगों के मौत की पुष्टि हो चुकी हैं वहीं सीडीएस बिपिन रावत की हालत नाजुक है।

जानकारी के मुताबिक हेलिकॉप्टर में बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत 14 लोग सवार थे। यह हादसा बिपिन रावत के साथ पहली बार नहीं हुआ वह इससे पहले भी 2015 में भी इस तरह के हादसे का शिकार हो चुके थे।

2015 में भी हो चुका हेलिकॉप्टर क्रैश

बता दें साल 2015 में भी बिपिन रावत हेलिकॉप्टर क्रैश(2015 helicopter crash) में बाल-बाल बचे थे। तब सीडीएस बिपिन रावत लेफ्टिनेट जनरल के पद पर थे। उत्तर पूर्वी राज्य नगालैंड के दीमापुर (nagaland’s dimapur)जिले में बिपिन रावत समेत तीन अधिकारी सेना के चीता हेलीकॉप्टर पर सवार थे। उड़ान भरने के बस कुछ ही सेकंड बाद ही हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था। तब हेलीकॉप्टर महज 20 फुट की ऊंचाई पर था। सेना की तरफ से जानकारी दी गई थी कि हेलीकॉप्टर पर सवार अधिकारियों को मामूली चोटें आई हैं। तब बताया गया था कि हेलीकॉप्टर क्रैश होने की घटना इंजन फेल होने के की वजह से हुई थी।

रिटायर होने के बाद बिपिन रावत बने थे सीडीएस

जनरल बिपिन रावत देश के पहले सीडीएस हैं। आर्मी चीफ के पद से 31 दिसंबर 2019 को रिटायर होने के बाद बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बने थे। वह 31 दिसंबर 2016 को आर्मी चीफ बनाए गए थे। जनरल रावत को पूर्वी सेक्टर में एलओसी कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में काम करने का लंबा अनुभव था। अशांत इलाकों में काम करने के अनुभव को देखते हुए मोदी सरकार ने दिसंबर 2016 में जनरल रावत को दो वरिष्ठ अफसरों पर तरजीह देते हुए आर्मी चीफ बनाया था।

बिपिन रावत के नेतृत्व में हुआ था सर्जिकल स्ट्राइक

भारतीय सेना ने 29 सितंबर 2016 को पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक कर कई आतंकी शिविरों का खात्मा किया था। बड़ी बात ये है कि जनरल बिपिन रावत के उप सेना प्रमुख बनने के एक महीने के अंदर ही सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया था। जिस हमले में की सारे आतंकी ढेर हुए थे। उरी में सेना के कैंप और पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए हमले में कई जवानों के शहीद हो जाने के बाद सेना ने ये कार्रवाई की थी। जनरल रावत के नेतृत्व में भारतीय सेना ने देश की सीमा के पार जाकर आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर कई आतंकियों को ढेर किया था।

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