CBSE का 10वीं के लिए बड़ा ऐलान! अब साल में दो बार होगी परीक्षा – जानिए और क्या-क्या बदलने वाला है ?

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव करते हुए यह फैसला लिया है कि वर्ष 2026 से कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित की जाएंगी। यह निर्णय नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के अनुरूप लिया गया है, जिसका उद्देश्य छात्रों को परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन के लिए दूसरा मौका देना है।
कब होंगी परीक्षाएं ?
CBSE के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने जानकारी दी कि बोर्ड ने इस मॉडल को स्वीकृति दे दी है।
पहली परीक्षा फरवरी में आयोजित की जाएगी और इसके परिणाम अप्रैल में घोषित किए जाएंगे।
दूसरी परीक्षा मई में कराई जाएगी और इसके परिणाम जून में आएंगे।
दोनों परीक्षाओं का सिलेबस होगा समान
CBSE के अनुसार, पहली और दूसरी परीक्षा दोनों में संपूर्ण पाठ्यक्रम (Full Syllabus) शामिल रहेगा। छात्रों को दोनों परीक्षाओं में वही विषय पढ़ने होंगे, जिससे पाठ्यक्रम में कोई असमानता न हो।
पहली परीक्षा अनिवार्य, दूसरी परीक्षा विकल्प के तौर पर
नए नियमों के अनुसार,
पहली परीक्षा में बैठना हर छात्र के लिए अनिवार्य होगा।
दूसरी परीक्षा में वे छात्र शामिल हो सकते हैं, जो अपनी परफॉर्मेंस में सुधार करना चाहते हैं।
दूसरे प्रयास में छात्र केवल उन्हीं तीन विषयों में शामिल हो सकते हैं, जिनमें वे बेहतर नंबर लाना चाहते हैं।
फीस और परीक्षा केंद्र – पहले ही तय
छात्रों को रजिस्ट्रेशन के समय ही दोनों परीक्षाओं की फीस जमा करनी होगी।
परीक्षा केंद्रों में कोई बदलाव नहीं होगा, यानी दोनों परीक्षाएं एक ही केंद्र पर होंगी।
कौन से नंबर होंगे फाइनल? CBSE ने दिया स्पष्ट जवाब
अगर कोई छात्र दोनों परीक्षाओं में भाग लेता है, तो उसकी दोनों परीक्षाओं में से उच्चतम अंक वाले नतीजे को ही फाइनल माना जाएगा।
उदाहरण के लिए – यदि फरवरी की परीक्षा में अधिक अंक हैं, तो वही रिजल्ट मान्य होगा। यह छात्रों के लिए एक सकारात्मक विकल्प है, जिससे उन पर दबाव कम होगा।
कुछ सीमाएं भी होंगी लागू
यदि कोई छात्र पहली परीक्षा में तीन या उससे अधिक विषयों में शामिल नहीं होता है, तो वह दूसरी परीक्षा में बैठने के लिए पात्र नहीं होगा।
इंटर्नल असेसमेंट (आंतरिक मूल्यांकन) केवल एक बार ही किया जाएगा।
छात्रों के लिए राहत और सुधार का मौका
CBSE का यह कदम छात्रों के लिए एक बड़ा राहत भरा और सुधारात्मक निर्णय है। यह मॉडल न केवल छात्रों को मानसिक तनाव से राहत देगा, बल्कि उन्हें दूसरे प्रयास में बेहतर प्रदर्शन करने का अवसर भी देगा। यह बदलाव आने वाले वर्षों में देश की परीक्षा प्रणाली में सुधार का संकेत है।