रामनगरी अयोध्या के विकास कार्यों में करोड़ों का घोटाला: कैग रिपोर्ट का दावा।

208 पन्नों की रिपोर्ट में 18 बार अयोध्या का उल्लेख।

नई दिल्ली: अयोध्या। रामनगरी अयोध्या से हैरतअंगेज खबर सामने आ रही है। रामनगरी में स्वदेश दर्शन योजना के तहत हुए विकास कार्यों में 20 करोड़ का घोटाले का मामला सामने आया है। देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक कैग की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।

रामनगरी के गुप्तारघाट के आस-पास हुए काम में ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाने की बात सामने आई है। कैग की इस रिपोर्ट से प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया है।भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने कथित तौर पर स्वदेश दर्शन योजना के तहत केंद्र सरकार की अयोध्या विकास योजना के अमल में अनियमितताएं पाई हैं।
कैग ने जनवरी 2015 से मार्च 2022 के बीच स्वदेश दर्शन योजना का ऑडिट किया था, जिसकी रिपोर्ट बुधवार को संसद में पेश की गई और कहा गया कि छह राज्यों में छह परियोजनाओं/सर्किटों में ठेकेदारों को 19.73 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ दिया गया।अयोध्या परियोजना संबंधित अनुचित लाभों पर कैग रिपोर्ट में कहा गया है, कार्यान्वयन करवाने वाली एजेंसी यानी उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम द्वारा नियुक्त ठेकेदार को अनुबंध मूल्य 62.17 करोड़ रुपये के पांच प्रतिशत की दर पर प्रदर्शन गारंटी जमा करनी थी, जो 3.11 करोड़ रुपये होता है।

अयोध्या में परियोजना संबंधित अनुचित लाभों पर कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि काम कराने वाली एजेंसी यानी उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के ठेकेदार को अनुबंध मूल्य 62.17 करोड़ रुपये के पांच प्रतिशत की दर पर प्रदर्शन गारंटी जमा करनी थी, जो करीब 3.11 करोड़ होती है, लेकिन ठेकेदार ने केवल 1.86 करोड़ रुपये जमा किए। यही नहीं योजनाओं की मॉनीटरिंग पर भी सवाल खड़े किए गए जिससे प्रशासनिक लापरवाही साफ उजागर होती है।हालांकि, ठेकेदार ने इसके नवीनीकरण के समय (सितंबर 2021) रिकॉर्ड पर कोई कारण बताए बिना कम राशि यानी केवल 1.86 करोड़ रुपये जमा करवाए।

अयोध्या में परियोजना संबंधित अनुचित लाभों पर कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि काम कराने वाली एजेंसी यानी उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के ठेकेदार को अनुबंध मूल्य 62.17 करोड़ रुपये के पांच प्रतिशत की दर पर प्रदर्शन गारंटी जमा करनी थी।

जो करीब 3.11 करोड़ होती है, लेकिन ठेकेदार ने केवल 1.86 करोड़ रुपये जमा किए। यही नहीं योजनाओं की मॉनीटरिंग पर भी सवाल खड़े किए गए जिससे प्रशासनिक लापरवाही साफ उजागर होती है।

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