क्या ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से भारत को हुआ यह 1 नुक्सान ? अब इस मुद्दे पर बातचीत नामुमकिन! तो कैसे.. ?

नई दिल्ली। पाकिस्तान की हिरासत में मौजूद बीएसएफ जवान पीके साहू की वापसी पर गहरा सस्पेंस छा गया है। भारत द्वारा हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर की गई एयरस्ट्राइक के बाद, दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव चरम पर पहुंच गया है। बीएसएफ जवान को गलती से पाकिस्तानी सीमा में चले जाने के कारण हिरासत में लिया गया था, लेकिन अब पाक रेंजर्स न तो संवाद के लिए तैयार हैं और न ही रिहाई पर कोई स्पष्ट जवाब दे रहे हैं।
पाक रेंजर्स के साथ अब तक आधा दर्जन मीटिंग
बीएसएफ सूत्रों के अनुसार, जवान पीके साहू की रिहाई के लिए अब तक पाकिस्तानी रेंजर्स के साथ करीब आधा दर्जन फ्लैग मीटिंग्स हो चुकी हैं। लेकिन जब इन बैठकों से कोई हल नहीं निकला, तो बीएसएफ ने सीनियर कमांडर स्तर की मीटिंग के लिए भी संपर्क करने की कोशिश की। इसके बावजूद पाकिस्तान की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। अब बीएसएफ की हर कोशिश पर पाक रेंजर्स चुप्पी साधे बैठे हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ा तनाव, रिहाई में और देरी संभव
भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के 15 दिन बाद पाकिस्तान के भीतर स्थित आतंकी ठिकानों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत 100 किलोमीटर गहराई तक स्ट्राइक की है। इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन के 9 ठिकानों को तबाह किया गया। दर्जनों आतंकियों और उनके परिजनों की मौत की खबरें हैं। इस ऑपरेशन के बाद से ही पाकिस्तानी रेंजर्स बीएसएफ के संवाद संकेतों का कोई जवाब नहीं दे रहे हैं।
बीएसएफ का रोज़ाना प्रयास, पाकिस्तानी रेंजर्स का मौन
बीएसएफ जवान की सकुशल वापसी के लिए प्रयास लगातार जारी हैं। बॉर्डर पर रोज़ाना दो से तीन बार सीटी बजाकर या झंडा दिखाकर फ्लैग मीटिंग का संकेत भेजा जाता है, लेकिन पाकिस्तानी रेंजर्स अब जवाब नहीं दे रहे। सूत्रों के मुताबिक, पाक रेंजर्स ने साफ कर दिया है कि अब किसी भी तरह की बातचीत केवल तब होगी, जब उन्हें शीर्ष मुख्यालय से आदेश मिलेगा। इसका सीधा संकेत यह है कि मामला अब राजनीतिक और कूटनीतिक मोड़ ले चुका है।
जानबूझकर संवाद से बच रहे हैं पाकिस्तानी रेंजर्स?
बीएसएफ सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तानी रेंजर्स जानबूझकर संवाद से बच रहे हैं। जब भी सीटी या झंडे का संकेत भेजा जाता है, पाकिस्तानी पक्ष की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आती। एक ही दिन में कई बार प्रयास दोहराए जाते हैं, लेकिन जवाब ना मिलने पर जवानों को खाली लौटना पड़ता है। यह स्थिति तनाव को और गहरा कर रही है।
कूटनीतिक चैनल की मदद लेने की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, अब इस मामले को डिप्लोमेटिक चैनल से सुलझाने की तैयारी की जा रही है। बीएसएफ के पूर्व अधिकारियों का कहना है कि सीमा पार करना कोई असामान्य घटना नहीं है और ऐसे मामलों में पहले भी दोनों देश फ्लैग मीटिंग कर जवानों को वापस करते रहे हैं। लेकिन इस बार भारत की सख्त कार्रवाई और पाकिस्तान का चुप्पी वाला रुख मामला ज्यादा जटिल बना रहा है।
कैसे हुआ था जवान पीके साहू का पकड़ा जाना?
यह घटना 23 अप्रैल को हुई थी जब बीएसएफ जवान पीके साहू, जो कि 182वीं बटालियन में तैनात थे, बॉर्डर के गेट संख्या 208/1 पर भारतीय किसानों की सुरक्षा में लगे हुए थे। तेज गर्मी के कारण वह छांव में खड़े होने की कोशिश कर रहे थे, तभी पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया और उनकी सर्विस राइफल भी जब्त कर ली। साहू कुछ ही समय पहले इस क्षेत्र में तैनात हुए थे।
पाकिस्तान की जिम्मेदारी जवान की सुरक्षा सुनिश्चित करना
बीएसएफ के पूर्व अफसरों का मानना है कि पाकिस्तान ने जब यह स्वीकार किया है कि जवान उनकी हिरासत में है, तो उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी पाकिस्तान की ही है। पाकिस्तान अब यह बहाना नहीं बना सकता कि जवान ने भागने की कोशिश की, जिससे उसे कोई नुकसान हुआ हो। जवान की हर गतिविधि की निगरानी पाकिस्तानी रेंजर्स पर ही निर्भर है।
बीएसएफ के कब्जे में पाकिस्तानी रेंजर्स, मामला और उलझा
इस पूरे घटनाक्रम के बीच एक और संवेदनशील पहलू सामने आया है— राजस्थान सेक्टर में बीएसएफ द्वारा एक पाकिस्तानी रेंजर्स को जासूसी के शक में हिरासत में लिए जाने की खबर है। हालांकि बीएसएफ ने इस मामले की अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन यह घटनाक्रम भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और संदेह को और बढ़ा सकता है।
जवान की रिहाई अब कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय दबाव पर निर्भर
बहरहाल, बीएसएफ जवान पीके साहू की रिहाई अब केवल सैनिक स्तर की बातचीत से संभव नहीं दिख रही। भारत को इस मुद्दे को लेकर राजनयिक दबाव, अंतरराष्ट्रीय मंचों और गंभीर कूटनीतिक प्रयासों का सहारा लेना होगा। पाकिस्तान द्वारा लंबे समय तक एक भारतीय सैनिक को हिरासत में रखना अंतरराष्ट्रीय कानूनों के भी खिलाफ है और इस पर वैश्विक समुदाय का ध्यान खींचना ज़रूरी है।