BJP पार्षद की दबंगई! BMC अफसर को सरेआम पीटा, घसीटकर निकाला बाहर – देखें वायरल वीडियो

30 जून 2025 की दोपहर भुवनेश्वर नगर निगम (BMC) कार्यालय में एक शांतिपूर्ण जनसुनवाई की प्रक्रिया के दौरान एक सीनियर अधिकारी पर कथित तौर पर हमला हुआ। यह घटना अतिरिक्त आयुक्त रत्नाकर साहू (OAS) के साथ हुई, जब वे चैंबर में जनता की शिकायतें सुन रहे थे।

घटनाक्रम और समयरेखा

सुबह लगभग 11:20–11:30 बजे, छह-सात अज्ञात व्यक्ति, जिनमें BMC पार्षद जीवन राउत शामिल थे, साहू के कार्यालय में प्रवेश किया।

उन्होंने पूछा कि क्या साहू ने भाजपा नेता जगन्नाथ प्रधान से फोन पर बात की थी। जब साहू ने पुष्टि की, तो वे अचानक हमला करने लगे: उन्हें घसीटा गया, पीटा गया और गाल पर तक प्रहार किए गए ।

आरोप है कि उन्हें जबरन वाहन में ले जाने की कोशिश की गई और “मुझे प्रधान से माफी मांगनी है” जैसी धमकियाँ दी गईं ।

उनके मोबाइल फोन को छीनकर हानिकारक स्टेटस अपलोड किये गए और उन्हें अपमानित किया गया ।

पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारी

साहू की रिपोर्ट के आधार पर खरवेल नगर पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया ।

जीवन राउत, रश्मि महापात्रा, और देबशिष प्रधान को गिरफ्तार किया गया, जिनमें राउत BMC का पार्षद है और पहले भी हिंसा के मामलो में गिरफ्तारी हो चुकी है ।

पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज भी अपने कब्जे में ले लिया है और अन्य आरोपितों की पहचान जारी है।

प्रशासन और BMC कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया

घातक हमले के विरोध में, BMC कर्मचारियों और BJD पार्षदों ने जनपथ रोड पर धरना देकर वाहनों को रोका, सुरक्षा व्यवस्था में खामी को उजागर किया।

महापौर सुलोचना दास ने कहा कि सरकार को मुख्यालय परिसर में सशस्त्र सुरक्षा तैनात करनी चाहिए ।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और बयान

पूर्व मुख्यमंत्री और BJD प्रमुख नवीन पटनायक ने ट्वीट कर घटना को “अत्यंत appalling” बताया और मुख्यमंत्री मोहनजी से exemplary कार्रवाई की मांग की ।

BJP MP अपराजिता सरंगी ने बताया कि जो व्यवहार हुआ वह बीजेपी के आदर्शों के विरुद्ध है, और उन्होंने आरोपी सदस्यों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही ।

सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल

यह खुलासा करता है कि एक सरकारी कार्यालय में वरिष्ठ अधिकारी भी बिना सुरक्षा के सुरक्षित नहीं ।

BMC अपने मुख्यालय में सशस्त्र सुरक्षा बल की तैनाती, CCTV निगरानी, और शिकायतों की सुनवाई के दौरान व्यवस्थित प्रक्रिया लागू करने की मांग कर रहा है।

यह हमला केवल व्यक्तिगत हिंसा नहीं बल्कि सरकारी तंत्र और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की धमकियों की प्रतीक बन गया है। गिरफ्तारियों व विरोध प्रर्दशनों के बावजूद, प्रभावी कार्रवाई, सुरक्षा प्रोटोकॉल, और राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता अब पहले से अधिक तीव्र है। सरकारी उच्चाधिकारियों और आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर ही व्यवस्था का भरोसा कायम हो सकता है।

 

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