आज का इतिहास:सिलसिलेवार आतंकी हमलों से दहल उठा था फ्रांस, 6 जगह हुए हमलों में मारे गए थे 130 लोग

फ्रांस के साथ-साथ पूरी दुनिया को दहलाने वाले हमलों की वजह से 13 नवंबर को याद किया जाता है। फ्रांस की राजधानी पेरिस में इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने एक के बाद एक 6 जगहों पर कुछ ही मिनटों में हमले किए, जिसमें 130 लोगों की जान चली गई। 350 से ज्यादा घायल हो गए। हमलों के बाद फ्रांस में इमरजेंसी लगा दी गई।

आतंकियों ने बार, रेस्टोरेंट, स्टेडियम, कंसर्ट हॉल कुछ नहीं छोड़ा था। 7 आतंकियों ने आत्मघाती हमले किए थे। पहला हमला रात 9 बजकर 20 मिनट पर एक फुटबॉल स्टेडियम के बाहर हुआ था। जिस वक्त ये हमला हुआ था, उस वक्त जर्मनी और फ्रांस के बीच मैच चल रहा था। वहां तब के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद भी मौजूद थे।

प्रोटेक्टिव शील्ड के साथ हमलावरों से निपटने जाते फ्रेंच पुलिस के जवान।

सबसे खतरनाक हमला बेटेकलां कंसर्ट हॉल में हुआ था। 1500 सीटों वाला ये कंसर्ट हॉल पूरा भरा हुआ था। तभी तीन आतंकी अंदर घुस आए और ताबड़तोड़ गोलियां चलानी शुरू कर दीं। सबसे ज्यादा 89 मौतें इसी हमले में हुई थीं। इस हमले में आतंकियों ने वैसी ही रणनीति अपनाई थी जैसी रणनीति 26 नवंबर 2008 को मुंबई हमले में अपनाई गई थी। मुंबई में भी आतंकियों ने ताज होटल में जाकर ताबड़तोड़ गोलीबारी शुरू कर दी थी। पेरिस में ऐसे ही हमले तीन जगहों पर हुए थे।

इन हमलों की एक वजह इसी साल जनवरी में चार्ली हेब्दो मैग्जीन में छपे पैगंबर मोहम्मद के विवादित कार्टून को भी माना गया था। पेरिस में हुए ये हमले मार्च 2004 में स्पेन की राजधानी मैड्रिड में हुए हमले के बाद सबसे भयानक थे। 11 मार्च 2004 को मैड्रिड की ट्रेनों में हुए बम धमाकों में 191 लोगों की जान गई थी और 1800 लोग घायल हुए थे।

1971: मंगल की कक्षा में पहुंचा था मरीनर-9

13 नवंबर 1971 को नासा का मरीनर-9 मंगल की कक्षा में पहुंचा था। इसी के साथ किसी दूसरे ग्रह की कक्षा में जाने वाला ये पहला मेन मेड ऑब्जेक्ट बना गया था।

मरीनर-9 एक 3-एक्सिस स्पेसक्राफ्ट था। इसी वजह से इस स्पेसक्राफ्ट ने बेहतर स्टेबिलिटी के साथ फोटोज भेजी थी।

1960 में नासा ने मरीनर मिशन की शुरुआत की थी। 1962 से 1973 के दौरान कुल 10 मरीनर लॉन्च किए गए। मरीनर-9 को नासा ने 30 मई को फ्लोरिडा से लॉन्च किया था। 13 नवंबर को जब ये मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचा तब वहां धूल भरा तूफान आया हुआ था। करीब एक महीने बाद जब ये तूफान खत्म हुआ तब मरीनर-9 ने मंगल और उसके चंद्रमाओं की पास से तस्वीरें भेजीं।

1985: कोलंबिया में ज्वालामुखी विस्फोट में मारे गए थे 25 हजार लोग

13 नवंबर 1985 को कोलंबिया में ‘नेवादो देल रुइज’ नाम का एक ज्वालामुखी फट गया था। इसने इतनी तबाही मचाई थी कि 80 वर्ग किमी. के इलाके में सिर्फ और सिर्फ राख ही राख नजर आ रही थी। इस ज्वालामुखी विस्फोट में 25 हजार लोग मारे गए थे।

स्थानीय समयानुसार दिन के 3 बजे ज्वालामुखी में से राख और धुंआ निकलना शुरू हो गया था। ये एक एक्टिव ज्वालामुखी था इसलिए लोगों ने ज्यादा परवाह नहीं की। शाम तक ज्वालामुखी और तेजी से अपने अंदर से राख और धुंआ उगलने लगा, लेकिन अभी तक स्थिति कंट्रोल में थी। रात होने के बाद लोग अपने-अपने घरों में सोने चले गए और तभी अचानक 11 बजे एक जोरदार धमाके के साथ ज्वालामुखी ने अपना रौद्र रूप दिखाया। लोगों को भागने का मौका ही नहीं मिला और 25 हजार से ज्यादा लोग ज्वालामुखी की चपेट में आ गए।

इस घटना के महीनों बाद तक ज्वालामुखी से राख और धुंआ निकलता रहा।

13 नवंबर के दिन को इतिहास में और किन-किन महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए याद किया जाता है…

2019: भारतीय उच्चतम न्यायालय ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश का कार्यालय सार्वजनिक प्राधिकरण है और यह सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आता है।

1998: चीन के भारी विरोध के बावजूद तिब्बत के दलाई लामा और अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने मुलाकात की।

1979: एक साल तक बंद रहने के बाद ‘टाइम्स’ अखबार का प्रकाशन फिर से शुरू हुआ। नई प्रौद्योगिकी की शुरुआत और अन्य मुद्दों पर प्रबंधन तथा यूनियनों के बीच विवाद के चलते अखबार का प्रकाशन रोक दिया गया था।

1969: लंदन के क्वीन कार्लेट अस्पताल में एक महिला ने पांच बच्चों को जन्म दिया।

1927: दुनिया की पहली सबसे लंबी अंडरवॉटर टनल की शुरुआत हुई। ये टनल अमेरिका के न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी के बीच थी। इसके नॉर्थ ट्यूब की लंबाई 8,558 फीट और साउथ ट्यूब की लंबाई 8,371 फीट थी। इसका नाम इसे डिजाइन करने वाले इंजीनियर क्लिफोर्ट होलैंड के नाम पर रखा गया था।

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