पश्चिम बंगाल में 6 महीने में धड़ाम हुआ भाजपा का जनाधार, 20 फीसदी गिरा वोट शेयर

कोलकाता. पश्चिम बंगाल (west Bengal) में मई में आए विधानसभा चुनाव के नतीजों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) दूसरा सबसे बड़ा दल बनकर उभरी थी. अब हाल ही में हुए कोलकाता नगर निगम चुनाव (KMC Election) में भाजपा की अलग तस्वीर नजर आ रही है. आंकड़े बताते हैं कि विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक भाजपा के वोट शेयर में बड़ी गिरावट हुई है. 6 महीने पहले संपन्न हुए चुनाव के बाद मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभा रही भाजपा के खाते में 77 सीटें आई थी.

इंडियन एक्स्प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मई में घोषित परिणामों में पार्टी ने 38 फीसदी वोट शेयर हासिल किया था. केएमसी वार्डों में यह आंकड़ा 29 प्रतिशत था. हालांकि, मंगलवार को घोषित केएमसी चुनाव के नतीजों में भाजपा का वोट शेयर केवल 9 फीसदी था. आंकड़ों के लिहाज से 6 महीने में पार्टी ने 20 फीसदी वोट शेयर गंवा दिया. केएमसी चुनाव में बीजेपी ने 3 वार्ड जीतने में सफलता हासिल की. वाम दल के 12 फीसदी वोट शेयर के मुकाबले भी भाजपा का वोट शेयर कम था. इसके अलावा 65 वार्डों में वाम पक्ष दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बना. जबकि, भाजपा के मामले में यह संख्या 17 रही.

भाजपा के जनाधार में गिरावट और नेताओं और विधायकों के टीएमसी में जाने का असर कुछ महीने पहले 7 सीटों पर हुए चुनाव में देखने को मिला था. इनमें 5 उपचुनाव और 2 नए चुनाव शामिल थे. भाजपा इनमें से एक भी सीट जीतने में नाकाम रही थी. जबकि, इनमें से दो सीटों पर पार्टी ने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी.

इसके अलावा दल बदलुओं के चलते भी पार्टी की हालत खराब हो रही है. कई बड़े नेताओं समेत विधायक मुकुल रॉय, तन्मय घोष, विश्वजीत दास, सुमन रॉय और कृष्णा कल्याणी टीएमसी में शामिल हो गए हैं. हालांकि, भाजपा के कम होते जनाधार का कारण नेता हिंसा और धांधली को बताते हैं.

पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष का कहना है, ‘टीएमसी की तरफ से बड़े स्तर पर हिंसा और बूथ पर धांधली इन नतीजों का कारण हैं. एक बात यह भी है कि टीएमसी ने बीजेपी का सामना करने के लिए लेफ्ट की मदद की है. कई जगहों पर टीएमसी नेताओं ने बंद हो चुके सीपीएम दफ्तर खोलने में मदद की. लेफ्ट को मजबूत कर भाजपा को कमजोर करने की यह टीएमसी की रणनीति है.’

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