BJP विधायक के बड़बोलेपन से फिर बवाल ! कहा – ‘तुम्हे जूते-कपड़े हमारी वजह से..’, भाजपा CM ने भी की निंदा

महाराष्ट्र के जलना जिले के भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री बबनराव लोनीकर की एक सभा में कही गई टिप्पणी ने तूल पकड़ लिया है। उन्होंने सभा में कहा कि ‘कपड़े, जूते, मोबाइल, टिकट, कार का डीज़ल’ आदि योजनाओं का लाभ वे ही लोगों तक पहुंचाते हैं, जिन्होंने उनके खिलाफ आवाज उठाई। इस बयान ने सोशल मीडिया पर विवाद खड़ा कर दिया और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी नाराज़गी जता चुके हैं।
घटना का विवरण
लोनीकर ने जालना के परतुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत भगवान ‘हर घर सोलर’ योजना समारोह में कहा –
“आपके हर कपड़े, जूते, मोबाइल… हमारी सरकार की योजनाओं से मिला है। अगर आप लोग हमारी आलोचना करना चाहोगे, तो ये सब मिलना बंद हो सकता है।”
इस दौरान उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वे ‘पीएम किसान सम्मान निधि’, ‘लाडकी बहिन योजना’ और अन्य योजनाओं से मिलने वाले लाभों का श्रेय लेते हैं।
विपक्ष की आपत्ति
शिवसेना के विधान परिषद सदस्य अंबादास दानवे (एक्स) ने ट्वीट्स में लिखा कि: “यह अंग्रेजों की देशी आवृत्ति है! लोकतंत्र में ऐसी भाषा बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
उन्होंने याद दिलाया कि MLA का दर्जा, फायदे, योजनाएँ सब जनता से मिलते हैं, न कि सिर्फ विधायक की मेहनत से।
ही ब्रिटिशांची देशी आवृत्ती! लोकशाहीत ही भाषा बरी नव्हे बबनराव. कारण..
तुमचे कपडे,बूट या जनतेमुळे..
आमदारकी जनतेमुळे..
तुमच्या गाडीतील डिझेल जनतेमुळे..
तुमचे विमानाचे तिकीट जनतेमुळे..
नेतेगिरी जनतेमुळे..
विधानसभेतील स्थान जनतेमुळे..यांचे हे बोल लक्षात ठेवा. निवडणूक येते आहे! pic.twitter.com/RcSleViNGL
— Ambadas Danve (@iambadasdanve) June 26, 2025
CM और कांग्रेस का फटकार
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “ऐसी टिप्पणियाँ उचित नहीं हैं और सार्वजनिक भावनाओं को चोट पहुंचाती हैं।”
वहीं कांग्रेस नेता हर्षवर्धन सपकाळ ने भी बयान दिया:
“यह अभद्रता की सीमा पार है, अगर विधायक ने माफी नहीं मांगी तो इन्हें विधानसभा या चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध लगाया जाए।”
क्या सुधरेगा बोलचाल का अंदाज़?
गुरुवार को वायरल हुए वीडियो ने सियासी तापमान को और बढ़ा दिया। चुनाव आ रहे हैं और ऐसी टिप्पणियाँ जनता vs नेता की बात बन गई हैं—जहाँ विधायक का दावा और जनता का अधिकार दोनों खुलकर चर्चा में हैं। अब सवाल है: क्या विधायक माफी मांगेंगे या ऐसे भाषा के खिलाफ प्रतिबंध लगेगा?