“मेरा बाप चारा चोर है”, बिहार में ये क्या करा गए PM Modi ! पटना में चौक पर लगा पोस्टर.. लालू समर्थक आगबबूला !

बिहार की सियासत एक बार फिर विवादित भाषा और पोस्टर वॉर की आग में जल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया सीवान दौरे पर तेजस्वी यादव के “पॉकेट पीएम- अचेत सीएम नहीं चाहिए” जैसे तीखे आरोपों का प्रभाव तुरंत दिखाई देने लगा। पटना के प्रमुख चौक-चौराहों पर “मेरा बाप चारा चोर है” लिखे पोस्टर्स ने मामला और गर्म कर दिया, जिसके बाद राजनीतिक दलों में बवाल शुरू हो गया।

पीएम मोदी का बयान एवं तेजस्वी की तीखी प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री ने सीवान में लालू–राजद के शासनकाल को ‘जंगली राज’ और ‘वंशवाद’ का स्रोत बताया। इसके जवाब में तेजस्वी यादव ने दिल्ली प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्हें “पॉकेट पीएम और अचेत सीएम” मंजूर नहीं, साथ ही उन्होंने मोदी को भ्रष्टाचार और बेरोजगारी की चपेट में रहने वाला नेता बताया।

‘मेरा बाप चारा चोर’ से ‘नेशनल दामादवादी अलायंस’ तक

प्रधानमंत्री के दौरे के बाद पटना के भीड़-भाड़ वाले इलाके में बड़े ऐलान पर पोस्टर लगवाए गए जिनमें तेजस्वी और उनके परिवार को चारा घोटाले (fodder scam) से जोड़कर “मेरा बाप चारा चोर” लिखा गया। एनडीए के कैटरीना एंगल के जवाब में राजद ने पोस्टर लॉन्च किया जिसमें दल का नाम “नेशनल दामादवादी अलायंस” रखकर मोदी–नीतीश पर भाई-भतीजावाद और ‘दामाद सेवा’ के आरोप लगाए गए।

AI वीडियो से ‘घर-परिवारवाद’ पर कटाक्ष

लालू प्रसाद यादव ने पीएम मोदी के भाषण को झूठ का “पैराशूट” बताया और आम जनता को छाता रखने की सलाह दी, ताकि “झूठों की बारिश” से बचा जा सके । राजद की ओर से एक AI वीडियो शेयर किया गया, जिसमें मोदी और नीतीश को व्यंग्यात्मक रूप में प्रस्तुत कर उनकी राजनीतिक रणनीति पर कटाक्ष किया गया ।

NDA का ‘संस्कार’ बहस में उतराव

बीजेपी–जदयू नेताओं का कहना है कि तेजस्वी का ‘पॉकेट पीएम’ और ‘चारा चोर’ जैसे शब्द “लोकतांत्रिक मर्यादा का उल्लंघन” हैं। बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने इसे अमिताभ बच्चन के संदर्भ में अपमानजनक बताया। जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने तेजस्वी की भाषा पर सवाल उठाते हुए कहा, “जैसा अन्न खाता है, वैसा संस्कार बनता है”

चारा घोटाला का संदर्भ

“चारा घोटाला” 1990 के दशक में बिहार में सरकारी खज़ाने से चारा, दवाइयों और पशु-सुविधाओं के लिए फर्जी बिल बनाकर करोड़ों रुपये की भ्रष्टाचार की घटना थी। इसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव दोषी पाए गए थे और उन्हें जेल की सज़ा हुई थी । नए पोस्टर्स में यही आरोप साधा गया है, जिससे इस पुराने आरोप को नए सियासी शस्त्र के रूप में पेश किया जा रहा है।

क्या इससे शाब्दिक विवाद बढ़ेगा?

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, ये पोस्टर वॉर आगामी विधानसभा चुनाव (2025) और मानसून सत्र की राजनीति में तेज़ी लाने की रणनीति है। जितना अधिक तीखा और व्यक्तिगत तू-तू, मैं-मैं होगा, पार्टी की छवि उतनी ही निर्मित या धूमिल होगी।

व्यक्तिगत हमले बन रहे हैं चुनावी हथियार

आज के बयान और टूट-फूट वाली भाषा इस बात का साक्ष्य हैं कि बिहार में चुनावी रणनीति निजी आरोप-प्रत्यारोप और तीखे चुनावी नारों का ताजगी से प्रयोग कर रही है। ‘चारा घोटाले की स्मृति’ को उसी वैनिका से ताज़ा किया जा रहा है, जिसमें राजद को भ्रष्टाचारी के रूप में दर्शाया जा रहा है, जबकि राजद जवाबी पोस्टरों, AI वीडियो और व्यंग्यात्मक भाषणों से NDA गठबंधन को ‘दामादवादी’ और ‘भाई-भतीजावादी’ बताया जा रहा है।

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