बदलता बिहार: पूर्णिया में विकसित हो रहा लाइब्रेरी कल्चर, जल-जीवन-हरियाली अभियान से गांव हो रहे सुंदर

बिहार ने बीते करीब डेढ़ दशक में विकास के पैमाने पर काफी बेहतर काम करके दिखाया है। आज राज्य के पास अच्छी सड़कें हैं। अब यहां किसी गांव में बिजली का आना या ट्रांसफर लगना खबरें नहीं बनती हैं। ‘आधी आबादी’ यानी महिलाएं भी घरों से निकलीं। अब किचन संभालने के साथ-साथ साइकिल से स्कूल जाती और पंचायत के विकास के लिए निर्णायक भूमिका निभाती हुई दिख रही हैं।

बिहार की राजधानी पटना से करीब 300 किमी की दूरी पर स्थित है एक जिला। नाम है पूर्णिया। जिस दौर में बिहार हर दिन अपनी विकास की गाथा लिख रहा था, उसी दौर में देश में राष्ट्रीय जनगणनना (2011) भी हुई थी। शिक्षा के क्षेत्र में बिहार का यह जिला पूर्णिया राज्य के सभी जिलों से खराब प्रदर्शन किया था। प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बच्चों से लेकर बड़ों तक में पढ़ने को लेकर इच्छाशक्ति विकसित करना था।

इन सबके बीच यहां यह भी बताना जरूरी है कि पूर्णिया में महात्मा गांधी तीन बार आए थे। 1925, 1927 और 1934 में गांधी जी इस धरती पर पहुंचे थे। 13 अक्टूबर 1925 को बापू ने पूर्णिया के बिष्णुपुर इलाके का दौरा किया था। उन्हें सुनने बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे। उसी शाम को गांधी ने स्थानीय ग्रामीण चौधरी लालचंद की दिवंगत पत्नी की स्मृति में बने एक पुस्तकालय मातृ मंदिर का उद्घाटन किया। इसके बाद उन्होंने अपने नोट्स में लिखा था कि ‘बिष्णुपुर जैसे दुर्गम जगह में एक पुस्तकालय का होना यह संकेत देता है कि यह स्थान कितना महत्वपूर्ण है।’

उस दौर में पुस्तकालय का होना यह बताता है कि पूर्णिया जिला के ग्रामीण इलाकों में पढ़ने के प्रति लोगों का खास जुड़ाव था। एक बार फिर पूर्णिया पुस्तकालय को लेकर गंभीर हुआ है और इसका श्रेय पूर्णिया के जिलाधिकारी राहुल कुमार को जाना लाजमी है। उन्होंने 25 जनवरी 2019 को यहां ‘अभियान-किताब दान’ का बिगुल फूंका था। लोगों ने भी बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। देखते ही देखते 150 पंचायतों में लाइब्रेरी की स्थापना कर दी गई। राहुल कुमार इसे 230 पंचायतों तक पहुंचाने का लक्ष्य बना चुके हैं। स्थानीय लोग, पंचायत प्रतिनिधि और प्रकाशकों से मिले सहयोग की वजह से इस लक्ष्य को पाने के लिए जो आत्मविश्वास होना चाहिए वह उनमें साफ झलकता है।

क्या है अभियान- किताब दान?
‘लाइव हिन्दुस्तान’ से बात करते हुए जिलाधिकारी राहुल कुमार बताते हैं कि अधिकांश लोगों के पास किताबें होती हैं, जिन्हें वह पढ़ चुके होते हैं। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके पास किताबें नहीं होती हैं। इस गैप को पाटने के लिए हमने ‘अभियान-किताब दान’ के बारे में सोचा। पंचायत या सामूदायिक भवन में लाइब्रेरी खोला गया है। हर पंचाचत में करीब 500 किताबें दीं। हमारा लक्ष्य सभी 230 पंचायतों तक इसे पहुंचाने का है।

आपको बता दें कि इस अभियान ने कोरोना जैसी वैश्विक महामारी का भी सामना किया है। इस कारण से यह कुछ हद तक प्रभावित भी हुआ है। लाइब्रेरी के सफल संचालन के लिए हर पंचायत में एक कमेटी की स्थापना की गई है। इसमें रिटायर शिक्षक, अवकाश प्राप्त सरकारी सेवक, नेहरू युवा केंद्र से जुड़े लोगों को रखा गया है। 300 लोगों को चार दिनों की ट्रेनिंग भी दी गई। इसके लिए बाहर से लाइब्रेरी एक्सपर्ट्स को बुलाया गया।

ट्रेनिंग प्रोग्राम और वर्कशॉप का आयोजन
राहुल कुमार ने कहा कि ट्रेनिंग का मकसद लोगों में पढ़ाई के शौक को विकसित करना था। उन्होंने कहा कि लाइब्रेरी का असर भी देखने को मिला। काफी लोग पढ़ने के लिए आगे आए। इसमें स्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चों के साथ-साथ बुजुर्ग भी शामिल हैं। 16 अगस्त से स्कूल फिर से खुल चुके हैं। जिलाधिकारी इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि लाइब्रेरी की वजह से बीच में ही पढ़ाई छोड़ने वाले छात्र-छात्राओं में फिर से पढ़ाई के प्रति लगाव उत्पन्न होगी।

पूर्णिया में गांधी सर्किट
राहुल कुमार ने पिछले एक साल में उन जगहों को भी जोड़ने का काम किया है, जहां-जहां गांधी पहुंचे थे। आसान शब्द में इसे गांधी सर्किट का भी नाम दिया जा सकता है। इस पहल से टीकापट्टी का रूप बदल चुका है, जहां 10 अप्रैल 1934 को बापू आए थे। इस जगह पर उन्होंने एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया था। पूर्णिया जिला के सुदूरतम इलाकों में एक है टिकापट्टी। यहां चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा रहता था। 30 अक्टूबर 2019 को राहुल कुमार यहां पहुंचते हैं। फिर इसी जगह पर उसी साल 15 नवंबर को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी कार्यक्रम होता है। इसके बाद यह परिसर गांधी मय हो जाता है। मुख्यमंत्री ने यहां वाचनालय, संग्रहालय बनाने के लिए निर्देश दिया।

पूर्णिया को खुबसूरत बनाने के लिए एक सुंदर पहल
पूर्णिया जिला के धमदाहा प्रखंड के रूपसपुर खगहा पंचायत को ‘जल-जीवन-हरियाली’ अभियान के जरिए संवारने की पहल जिला प्रशासन द्वारा की गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस परिसर को देखने आए थे। यहां सबसे पहले एक तालाब का उराही करवाकर इसके इनलेट और आउटलेट बनाए गए। इसके बाद यह स्थान खुलने के साथ-साथ खिलने भी लगा। तालाब के चारों तरफ पर आज कई सरकारी भवन और पार्क इसकी शोभा बढ़ा रहे हैं।

तालाब के सौंदर्यीकरण के साथ ही अब यहां पहले से मौजूद एक स्कूल, आंगवाड़ी केंद्र, पशु चिकित्सालय, पंचायत सरकार भवन, स्वास्थ्य उपकेंद्र, पार्क, पैक्स का गोदाम, कम्यूनिटी टॉयलेट, वॉकिंग ट्रैक, ओपन जिम तक है। इस पूरे कैंपस की चाहदरीवारी से सुरक्षित किया गया। यहां एक लाइब्रेरी भी है, जिसका नाम बिहार विधानसभा के पहले स्पीकर लक्ष्मी नारायण सुधांधु के नाम पर रखा गया है। सोलर प्लांट से ये सभी भवन जगमगाते हैं। सभी भवनों में रेन वाटर हारवेस्टिंग की भी व्यवस्था की गई। जो जगह पहले लगभग झाड़ियों से घिर गया था, वहां अब सरकारी काम के बाद लोग वॉक करने के लिए सुबह-शाम आते हैं। ठीक इसी तर्ज पर बनमनखी में भी एक तालाब को संवारा गया। जिलाधिकारी राहुल कुमार का कहना है कि ग्रामीण पर्यटन को इसके जरिए बढ़ावा देने का लक्ष्य है। उन्होंने इससे पहले गोपालगंज में जिलाधिकारी रहते हुए मनरेगा के तहत दर्जनों सुंदर पार्क का निर्माण करवाया था।

250 साल पुराना जिला है पूर्णिया
इस दौरान पूर्णिया जिला ने अपनी स्थापना के 250 साल भी पूरे कर लिए। देश के पुराने जिले में एक पूर्णिया का गठन 14 फरवरी 1770 को हुआ था। शहर के 250वें जन्मदिन के मौके पर पुरैनिया महोत्सव का आयोजन किया गया था, जिसे राज्य सरकार ने राजकीय समारोह का दर्जा भी दिया। बिहार के पिछड़े जिलों में गिने जाने वाले पूर्णिया ने इस आयोजन से अपनी अलग पहचान दिखाई। पुरैनिया महोत्सव में फिल्म फेस्टिवल, फूल प्रदर्शनी, खेलकूद प्रतियोगिता और चर्चा-विमर्श का भी आयोजन किया गया। डीएम राहुल कुमार ने कहा कि देश भर के लोगों ने पूर्णिया को इस दिन बधाई दी थी। बॉलीवुड हस्तियों ने पूर्णिया के लिए विडियो ट्वीट किए। इन विडियोज में कलाकारों और चर्चित हस्तियों ने पूर्णिया के 250वें जन्मदिन की बधाई दी। बधाई देने वालों में अभिनेता पंकज त्रिपाठी, अर्जुन कपूर, रिचा चड्ढा, इमरान हाशमी और सिंगर तोची रैना प्रमुख थे।

Thank you @TripathiiPankaj for your lovely wishes. #Purnea250 pic.twitter.com/b12KRdByMv

— Rahul Kumar (@rahulias6) February 4, 2020

बिहार में बीते कुछ वर्षों में मिशन ‘विकसित बिहार’ की चर्चा तेजी से हो रही है। इसके लिए हर 38 जिलों को खुद को हर मापडंदों पर विकसित करना पड़ेगा।  पूर्णिया उस दिशा में जिम्मेदारी से अपनी भूमिका निभाता हुआ दिख रहा है।

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