बिहार सरकार ने राज्य में जमीन विवाद से जुड़े मामलों को खत्म करने के लिए यूनिक कोड की व्यवस्था शुरू की है. यूनिक कोड से मामले की गंभीरता का पता लगाया जा सकेगा. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने कोड को मामले की गंभीरता के आधार पर 11 भागों में विभाजित किया है.

 बिहार की नीतीश सरकार ने राज्य में जमीन से विवादों को खत्म करने के लिए एक नई पहल शुरू की पहल की है. सरकार ने राज्य में जमीन से जुड़े मुकदमे को एक यूनिक कोड देने का फैसला किया है. इस कोड की मदद से यह पता लगाया जा सकेगा कि मामला कितना गंभीर है. बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इन जमीन विवादों को 11 श्रेणी में बाटने का फैसला किया है. केस पर अंकित कोड से मामले की गंभीरता का पता लगाया जा सकेगा. सभी मामलों का ध्यान रखने के लिए गृह विभाग ने एक सॉफ्टवेयर को विकसित किया है.

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के द्वारा जमीन विवाद के मुकदमों को यूनिक कोड मिलने के बाद सभी मामलों की ऑनलाइन मोड पर भी नजर रखी जा सकेगी. जमीन विवाद से हर मामले में यूनिक कोड देने का फैसला राजस्व एवं भूमि शुधार विभाग, गृह विभाग तथा बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन ने संयुक्त बैठक में लिया है. कोड की शुरुआत के बाद मामले से जुड़े स्थानीय अधिकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को गुमराह नहीं कर सकेंगे. इससे जमीन विवाद से जुड़े लोगों को मामले की शिकायत के लिए अधिकारियों के चक्कर नहीं लगाने होंगे. वह कोड देखकर मामला की संवेदनशीलता का पता लगा पाएंगे.

यूनिक कोड से लोगों को मिलेगी सहूलियत

सरकार, राजस्व एवं भूमि शुधार विभाग, गृह विभाग तथा बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन की इस पहल से मामले गंभीरता समझने में आसानी होगी. उच्च अधिकारी में मामले को जल्द-जल्द से खत्म करने के लिए स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दे सकते है, जिससे विवादित क्षेत्र में कोई अन्य विवाद पैदा न हो सके. ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि मामलों का जल्दी से निस्तारण होगा, तो राज्य में लॉ-इन ऑडर भी सामान्य रहेगा.

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