Must Read: स्वस्थ मां, मृत शिशु.. डॉक्टर भी हैरान! BHU ने खोले प्रेगनेंसी में होने वाली इस अनहोनी के राज

वाराणसी – बीएचयू (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) के सर सुंदरलाल अस्पताल में अब गर्भ में पल रहे शिशु की असमय मृत्यु के कारणों की जांच के लिए ‘फीटल ऑटोप्सी’ की सुविधा उपलब्ध होगी। यह पहल पूर्वांचल में गर्भावस्था संबंधी जटिलताओं को समझने और मातृत्व स्वास्थ्य को बेहतर करने की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
गर्भ में स्वस्थ शिशु की मौत, अब मिलेगा कारण का जवाब
अक्सर ऐसे मामले सामने आते हैं जब मां पूर्णतः स्वस्थ होती है, सभी चिकित्सकीय रिपोर्ट सामान्य होती हैं, फिर भी गर्भ में शिशु की मृत्यु हो जाती है। इस रहस्य को उजागर करने के लिए बीएचयू अस्पताल में अब फीटल ऑटोप्सी की सुविधा शुरू की जा रही है। इससे माता-पिता को यह जानने में मदद मिलेगी कि उनके साथ ऐसा क्यों हुआ।
भावनात्मक रूप से कठिन, लेकिन वैज्ञानिक रूप से जरूरी प्रक्रिया
फीटल ऑटोप्सी एक संवेदनशील चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें शिशु के मृत शरीर की बाहरी और आंतरिक जांच की जाती है। हालांकि यह माता-पिता के लिए भावनात्मक रूप से कठिन होती है, लेकिन इसके जरिए मृत्यु के पीछे छिपे कारणों को उजागर किया जा सकता है, जिससे भविष्य की गर्भधारण योजनाओं में सावधानी बरती जा सकेगी।
कम शुल्क में होगी सुविधा, निजी अस्पतालों से सस्ता विकल्प
फिलहाल यह सुविधा वाराणसी के कुछ निजी पैथोलॉजी लैब में उपलब्ध है, जिसकी लागत 15 से 20 हजार रुपये तक होती है। लेकिन बीएचयू में यह सुविधा बेहद कम शुल्क में दी जाएगी, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग भी इसका लाभ उठा सकेंगे। यह निर्णय चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एसएन संखवार की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया।
छह विभागों का साझा प्रयास, बेहतर परिणाम की उम्मीद
फीटल ऑटोप्सी को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए प्रसूति एवं स्त्री रोग, एनाटॉमी, पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी और जेनेटिक्स समेत आधा दर्जन विभाग मिलकर काम करेंगे। इससे न केवल आनुवंशिक या जन्मजात विकारों का पता चलेगा, बल्कि गर्भावस्था में संक्रमण या अन्य जटिलताओं की जानकारी भी मिल सकेगी।
हर माह आ रहे दो से तीन गंभीर केस
बीएचयू के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रो. शिखा सचान के अनुसार, हर महीने ऐसे दो से तीन केस सामने आते हैं जिनमें मां पूरी तरह स्वस्थ होती है, फिर भी गर्भावस्था के दौरान शिशु की मौत हो जाती है। ऐसी स्थिति में फीटल ऑटोप्सी अत्यंत उपयोगी साबित हो सकती है।
भ्रूण चिकित्सा पर हुआ सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम
इस पहल के तहत बीएचयू में फीटल मेडिसिन पर एक सतत चिकित्सा शिक्षा (CME) कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर के विशेषज्ञ शामिल हुए। इस कार्यक्रम में एंटेनेटल स्क्रीनिंग, जेनेटिक टेस्टिंग, तकनीकी प्रगति और भ्रूण चिकित्सा से संबंधित नैतिक व क्लिनिकल पहल