फिरोज खान पर बीएचयू में यूँ छिड़ गई महाभारत

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में मुस्लिम प्रोफेसर फ़िरोज़ खान की नियुक्ति को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है । गुरुवार को प्रोफेसर फ़िरोज़ खान के समर्थन में यूनिवर्सिटी के अन्य विभागों के छात्र तो कुछ हिंदू धर्मगुरु उनके विरोध में उतर आए हैं । इसके साथ ही कांग्रेस भी प्रोफेसर के समर्थन में सामने आई है ।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के निर्देश पर जिला कांग्रेस कमेटी की एक टीम ने फिरोज खान के समर्थन में कुलपति राकेश भटनागर से मुलाकात की । पूर्व विधायक अजय राय ने बताया कि कुलपति भटनागर ने बताया नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है । इसके साथ ही यूनिवर्सिटी के अन्य विभागों के छात्रों ने पोस्टर पर ‘वी आर विथ यू फिरोज खान’, ‘संस्कृत किसी की जागीर नहीं’ जैसे पोस्टर के साथ मार्च निकाला । बीएचयू के एक शोध छात्र विकास सिंह ने कहा कि महामना के मूल्यों को कुछ छात्र तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं । उन्होंने ऐसे समाज की कल्पना की जहां हर धर्म के लोग शिक्षा ग्रहण कर सकें ।

कोर्ट तक जाएंगे छात्र

हालांकि संस्कृत के छात्रों का प्रोफ़ेसर फिरोज खान की नियुक्ति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है । छात्रों का कहना है कि उनका विरोध सनातनी संस्कृत को पढ़ाने को लेकर है । विरोध में धरने पर बैठे शोध छात्र चक्रपाणि ओझा ने कहा कि ‘हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम कोर्ट जाएंगे ।’ उन्होंने कहा कि कुछ लोग बिना जाने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं । उन्हें सच्चाई मालूम नहीं है । पहले वो सच्चाई जानें । चक्रपाणि के अनुसार विभाग में शिलापट्ट महामना ने लगवाया था जिसपर साफ लिखा है कि संस्कृत महाविद्यालय का यह भवन सिर्फ सनातन धर्मावलंबियों के लिए है । उनके समर्थन में पहुंचे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के प्रमुख शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी कहा कि इस मुद्दे पर जरूरत पड़ने वह संतों का आह्वान करेंगे ।

संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में मुस्लिम प्रोफेसर डॉ फिरोज खान की नियुक्ति को ‘अनुचित’ ठहराते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि धर्म विज्ञान संकाय में अनुभवात्मक विषयों का अध्ययन होता है । उन्होंने कहा, ‘जिसको हमारे धर्म का अनुभव ही नहीं है, वह पोथी पढ़कर क्या पढ़ाएगा । महामना ने साफ कहा था कि सनातन धर्म का ज्ञान वही दे सकता है जो सनातन धर्मांवलंबी हो । यह भाषा का विषय नहीं है, हमारे धर्म का विषय है ।

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