गजब का ओवरब्रिज ! 90 डिग्री का मोड़.. तेज रफ़्तार वाहनों के लिए बना काल, CM ने लिया बड़ा फैसला

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के ऐशबाग इलाके में बना एक रेलवे ओवरब्रिज (ROB) इन दिनों सोशल मीडिया से लेकर प्रशासनिक हलकों तक चर्चा और आलोचना का केंद्र बना हुआ है। इस पुल में बना 90 डिग्री का तीखा मोड़ न सिर्फ लोगों की परेशानी का कारण है, बल्कि इसकी सुरक्षा और डिज़ाइन पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए लोक निर्माण विभाग (PWD) ने दो चीफ इंजीनियर्स की विशेष जांच समिति गठित कर दी है।
18 करोड़ की लागत में बना 90 डिग्री का मोड़
करीब ₹18 करोड़ की लागत से बना यह रेलवे ओवरब्रिज भोपाल के ऐशबाग स्टेडियम के सामने स्थित है। इसकी लंबाई 648 मीटर और चौड़ाई 8.5 मीटर है। हालांकि पुल अब लगभग तैयार है, लेकिन इसमें बना 90 डिग्री का तीखा मोड़ वाहनों के लिए दुर्घटना का कारण बन सकता है।
स्थानीय लोग और सोशल मीडिया यूज़र्स इस डिज़ाइन की आलोचना कर रहे हैं। कई लोगों ने सवाल उठाए हैं कि इस तरह की खतरनाक मोड़ वाली संरचना आखिरकार कैसे स्वीकृत की गई।
बनेगी रणनीति, होगी कार्यवाही
लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने 19 जून को मीडिया से बातचीत में बताया,
“लोगों की सुरक्षा और आवागमन को देखते हुए हमने दो चीफ इंजीनियर्स की एक समिति बनाई है, जो रेलवे और अन्य हितधारकों से बातचीत कर रिपोर्ट सौंपेगी।”
समिति की रिपोर्ट के आधार पर सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे और यह तय किया जाएगा कि इस तीखे मोड़ को किस तरह सुगम और सुरक्षित बनाया जा सकता है।
जमीन की कमी को बताया वजह
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की एक विशेष टीम ने भी इस पुल की जांच की है। रिपोर्ट में सामने आया कि इस असामान्य डिज़ाइन की मुख्य वजह जमीन की अनुपलब्धता है। चूंकि पुल मेट्रो स्टेशन और रेलवे ज़मीन के करीब स्थित है, वहां पर्याप्त जगह नहीं थी, जिससे 90 डिग्री का मोड़ बनाना मजबूरी हो गया।
किस-किस को होगा लाभ? ऐशबाग, पुष्पा नगर और स्टेशन क्षेत्र के लोग होंगे लाभान्वित
यह ओवरब्रिज ऐशबाग, पुष्पा नगर और स्टेशन क्षेत्र के लोगों की आवाजाही को सरल बनाने के उद्देश्य से बनाया गया है। परियोजना की शुरुआत के समय दावा किया गया था कि इससे करीब 3 लाख शहरी आबादी को फाटक पर इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा और आवागमन सुगम हो जाएगा।
डिज़ाइन पर विवाद के बाद जमीन मांगने की तैयारी
PWD अधिकारियों का कहना है कि अगर रेलवे से थोड़ी और जमीन मिल जाए, तो इस तीखे मोड़ को गोलाई में बदला जा सकता है, जिससे वाहन मोड़ पर फिसलें नहीं और दुर्घटना की संभावना कम हो। विभाग ने रेलवे से अतिरिक्त ज़मीन मांगने की तैयारी कर ली है।
हालांकि रेलवे प्रवक्ता नवल अग्रवाल का कहना है कि अभी तक PWD की ओर से कोई औपचारिक पत्राचार नहीं हुआ है।
“जब भी कोई औपचारिक प्रस्ताव आएगा, हम उस पर विचार करेंगे।”
कब शुरू हुआ निर्माण कार्य और क्या है अगला कदम ?
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, इस ओवरब्रिज का निर्माण कार्य 21 मार्च 2023 को शुरू हुआ था। अब जबकि पुल लगभग तैयार हो चुका है और विवाद भी खड़ा हो गया है, सरकार इसे सुरक्षित और व्यावहारिक बनाने की दिशा में आवश्यक बदलावों की तैयारी में जुटी है।