Bharat के Q2 GDP आंकड़े: ग्रामीण मांग से लेकर सरकारी खर्च तक—यहां हैं 5 प्रमुख संकेतक
Bharat के जुलाई-सितंबर (Q2FY25) तिमाही के लिए जीडीपी आंकड़े आज जारी होने वाले हैं। यह अनुमान है कि भारतीय अर्थव्यवस्था
Bharat के जुलाई-सितंबर (Q2FY25) तिमाही के लिए जीडीपी आंकड़े आज जारी होने वाले हैं। यह अनुमान है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत के आसपास हो सकती है, जो कि पिछले तिमाही की तुलना में थोड़ी धीमी वृद्धि है। इस तिमाही में विभिन्न क्षेत्रों में असमान प्रदर्शन और शहरी इलाकों में खाद्य महंगाई के कारण निजी खपत में गिरावट ने जीडीपी के आंकड़े पर असर डाला। इसके अलावा, भारी बारिश, कमजोर कॉर्पोरेट मार्जिन और कमजोर निर्यात ने समग्र जीडीपी वृद्धि को प्रभावित किया है।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA के अनुसार, Bharat की जीडीपी वृद्धि तिमाही में 6.5 प्रतिशत तक धीमी हो सकती है, जबकि पिछली तिमाही में यह 6.7 प्रतिशत थी। ICRA ने यह भी अनुमान जताया है कि ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) वृद्धि, जो कि अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की कुल मूल्य का माप है, में भी 6.6 प्रतिशत की धीमी वृद्धि हो सकती है।
1. ग्रामीण मांग
Bharat की अर्थव्यवस्था में ग्रामीण मांग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, खासकर कृषि क्षेत्र में। हाल ही में ग्रामीण इलाकों में उपभोक्ता खर्च में कमी आई है, जिसका असर ग्रामीण विकास पर पड़ा है। उच्च खाद्य महंगाई और कमजोर कृषि उत्पादन की वजह से ग्रामीण मांग में गिरावट आई है, जो कि जीडीपी वृद्धि में असर डाल सकता है।
2. निजी खपत (Private Consumption)
Bharat में निजी खपत जीडीपी का एक प्रमुख घटक है, और शहरी क्षेत्रों में खाद्य महंगाई की वजह से इसमें गिरावट देखी जा सकती है। उच्च खाद्य कीमतें और उपभोक्ताओं की कमजोर क्रय शक्ति ने निजी खपत को प्रभावित किया है, खासकर शहरी इलाकों में। इस गिरावट का असर भारत की समग्र आर्थिक वृद्धि पर पड़ा है, और यह इस तिमाही के जीडीपी आंकड़ों में स्पष्ट हो सकता है।
3. सरकारी खर्च (Government Capex)
सरकारी खर्च, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं में खर्च, इस तिमाही में महत्वपूर्ण संकेतक हो सकता है। सरकार की पूंजीगत व्यय योजनाओं ने वित्तीय क्षेत्र में कुछ राहत दी है, जो कि विकास को समर्थन दे रही है। मजबूत सरकारी खर्च से GDP को कुछ मजबूती मिल सकती है, खासकर निर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में।
4. निर्यात (Exports)
Bharat के निर्यात पर वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां असर डाल सकती हैं। पिछले कुछ महीनों में वैश्विक मांग कमजोर हुई है, जिससे भारतीय निर्यात पर दबाव पड़ा है। कमजोर निर्यात के कारण GDP वृद्धि पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, और यह तिमाही के जीडीपी आंकड़ों में देखा जा सकता है। वैश्विक व्यापार तनाव और मंदी की स्थिति भी निर्यात में गिरावट का कारण बन सकती है।
5. वर्षा और कृषि उत्पादन (Monsoon and Agricultural Output)
Bharat में मानसून और कृषि उत्पादन का सीधा संबंध होता है। इस तिमाही में भारी बारिश ने कई राज्यों में फसलों को प्रभावित किया, जिससे कृषि उत्पादन में गिरावट आई। कृषि क्षेत्र की वृद्धि में कमी से ग्रामीण मांग पर असर पड़ा है, और यह जीडीपी के आंकड़ों में भी दिख सकता है। कृषि उत्पादन में गिरावट का असर खाद्य कीमतों पर भी पड़ा है, जो इस तिमाही में उच्च रहे हैं।
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Bharat का Q2 GDP डेटा आज जारी होने वाला है, और इसमें कई महत्वपूर्ण संकेतक होंगे, जैसे कि ग्रामीण मांग, निजी खपत, सरकारी खर्च, निर्यात, और कृषि उत्पादन। इन संकेतकों से यह स्पष्ट होगा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वर्तमान तिमाही में किस दिशा में जा रही है। ICRA के अनुमान के अनुसार, इस तिमाही में GDP वृद्धि 6.5 प्रतिशत तक धीमी हो सकती है, जो पिछले तिमाही के मुकाबले कम है। हालांकि, सरकारी खर्च और अन्य समर्थन उपायों से आर्थिक विकास को कुछ राहत मिल सकती है।