शर्मनाक: यूपी में “बाबा साहेब आंबेडकर” की प्रतिमा पर हथौड़ों से हमला, CCTV में कैद हुए लफंडर, देखें Video

उत्तर प्रदेश के बरेली में देर रात बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा पर हमला किया गया, जिसकी वीडियो रिकॉर्डिंग सीसीटीवी में कैद हुई। यह घटना सामाजिक सौहार्द और असहिष्णुता के बीच एक जख्म की तरह है, जिसने पूरे शहर में तनाव की लहर दौड़ा दी है। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।

आधी रात का अंधेरा, प्रतिमा पर हमला

घटना देर रात करीब 2:30 बजे के आसपास, अज्ञात चोरों ने बरेली की डॉ. आंबेडकर प्रतिमा को लकड़ी के डंडों से मारा-पीटा। सीसीटीवी फुटेज में तीन संदिग्ध नजर आ रहे हैं जो एक-एक कर प्रतिमा से पुष्पहार हटा रहे हैं और फिर पाँच से अधिक बार दंडों से वार करते दिखाई देते हैं ।

CCTV फुटेज से हुआ खुलासा

मीडिया में वायरल हुए वीडियो के बाद बरेली पुलिस ने पांच आरोपियों को हिरासत में लिया और उनके खिलाफ संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है । पुलिस एसपी ने स्पष्ट किया कि इलाके व उक्त स्थल की सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा कर की गई कार्रवाई, जिसमें वारदात का पूरा अंश दर्ज हुआ था।

कानूनी कार्रवाई और FIR

पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ IPC की संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है और कहा है कि आगे की जांच जारी है । एसपी बरेली ने बताया कि “प्राप्त शिकायतों और CCTV फुटेज को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की गई है और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।”

दलित संगठनों में भारी गुस्सा

इस घटना ने सामाजिक भावनाओं को झकझोर कर रख दिया है। कई दलित व सामाजिक संगठन नारे लगा रहे हैं और उन्होंने अदालत और प्रशासन से मांग की है कि दोषियों को यथाशीघ्र न्याय दिलाया जाए। कहा जा रहा है कि ऐसी घटनाएं समाज में नफरत और विभाजन की आग को हवा देती हैं।

पुलिस ने की सुरक्षा बढ़ाने की घोषणा

इस घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने शहर में इस तरह की संवेदनशील जगहों पर निगरानी और सुरक्षा बढ़ाने की घोषणा की है। साथ ही पुलिस की अनेक टीमें और जीरो टॉलरेंस पॉलिसी की बात भी सामने आ रही है। डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा पर हमला सिर्फ एक अवामतामक घटना नहीं, बल्कि यह समाज में वर्ग और जाति के बीच पुराने घावों को फिर ताज़ा करने जैसा भी नजर आता है। इसकी जांच के बाद ही पता चलेगा कि ये वारदात जानबूझकर नफरत के शोर से प्रेरित थी, या फिर एक असामाजिक तत्वों की हरकत। पर स्पष्ट है कि इस कार्रवाई ने सामाजिक समरसता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

 

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