BJP विधायक पर 120 करोड़ के घोटाले का आरोप, शिकायत करने वाले का नाम सुनकर चौंक जाएंगे आप, पत्नी भी..

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में ₹120 करोड़ के निर्माण कार्यों में बड़े घोटाले का मामला सामने आया है। जिले के जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील सिंह पटेल ने भाजपा के सदर विधायक प्रकाशचंद्र द्विवेदी और उनकी पत्नी एवं पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सरिता द्विवेदी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कोतवाली पुलिस और एसपी को लिखित शिकायत सौंपी है। पटेल ने आरोप लगाया कि दोनों ने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग कर भारी वित्तीय अनियमितताएं की हैं।
फर्जी हस्ताक्षर और स्वीकृतियां बनीं आरोप की बुनियाद
शिकायत के अनुसार, 2018 से 2020 के बीच सरिता द्विवेदी के अध्यक्ष पद पर रहते हुए जिला पंचायत द्वारा पास किए गए ₹120 करोड़ के निर्माण कार्यों में फर्जी हस्ताक्षरों का इस्तेमाल किया गया। पटेल का कहना है कि इन कार्यों को मंजूरी देने के लिए जो दस्तावेज प्रयोग में लाए गए, उन पर जिला पंचायत बोर्ड की स्वीकृति दर्शाने के लिए कूटरचित हस्ताक्षर किए गए।
फॉरेंसिक जांच में सामने आया हस्ताक्षरों में अंतर
जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल ने आरोपों को पुख्ता करने के लिए दस्तावेजों की फॉरेंसिक जांच करवाई। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि बोर्ड मीटिंग की पंजिका में किए गए हस्ताक्षर और निर्माण कार्यों की फाइलों में लगे हस्ताक्षरों में मेल नहीं है। इससे साफ संकेत मिलता है कि मंजूरी की प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई है।
खनिज वसूली से लेकर नियुक्तियों तक घोटाले का आरोप
पटेल ने विधायक पर आरोप लगाया कि उन्होंने खनिज परिवहन शुल्क की नीलामी, कृषि महाविद्यालय में नियुक्तियां और अन्य कई कार्यों में अपनी पहुंच का दुरुपयोग करते हुए भारी गड़बड़ी की। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विधायक ने अपने रिश्तेदारों और करीबियों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर रखा और विरोध करने वालों को दबाया।
राजनीतिक संघर्ष और पूर्व विवाद भी विवाद की जड़
यह विवाद तब और गहराता है जब यह तथ्य सामने आता है कि खुद सुनील सिंह पटेल ₹6.21 करोड़ के खनिज वसूली घोटाले में पहले ही दोषी ठहराए जा चुके हैं। ऐसे में भाजपा संगठन और जिला पंचायत के बीच चल रही राजनीतिक खींचतान ने इस मामले को और भी जटिल बना दिया है।
FIR न होने पर कोर्ट जाने की चेतावनी
पटेल ने स्पष्ट किया कि अगर पुलिस इस मामले में FIR दर्ज नहीं करती है, तो वह न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। उनका यह भी कहना है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो वह और पंचायत सदस्य सामूहिक इस्तीफे देने पर भी विचार कर सकते हैं। इससे जिले की राजनीति में हलचल मच गई है।
भाजपा की छवि पर सवाल, निष्पक्ष जांच की मांग
यह मामला सिर्फ एक वित्तीय घोटाले का नहीं, बल्कि राजनीतिक जवाबदेही और प्रशासनिक पारदर्शिता की भी परीक्षा बन गया है। विपक्षी दलों ने इसे लेकर भाजपा की सरकार और स्थानीय नेतृत्व पर सीधे सवाल उठाए हैं और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
पारदर्शिता की कसौटी पर चढ़ी भाजपा की राजनीति
बांदा जिले में उभरा यह मामला भाजपा के लिए एक गंभीर चुनौती बनकर सामने आया है। ₹120 करोड़ की परियोजनाओं में कथित गड़बड़ियों और फर्जी दस्तावेजों के आरोपों की फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट ने मामले को और गंभीर बना दिया है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में कब और कैसी कार्रवाई करता है, और क्या आरोपी विधायक को कानून के कठघरे में लाया जा सकेगा।