नही रहे मध्य प्रदेश बीजेपी के भीष्म पितामह बाबूलाल गौर

मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर का 89 साल की उम्र में आज निधन हो गया। उनकी मृत्यु का कारण हृदय गति रुकना बताया जा रहा है । बुधवार सुबह करीब पौने सात बजे उन्‍होंने नर्मदा अस्‍पताल में अंतिम सांस ली। हालांकि वे पिछले 14 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे । उन्हें वेंटीलेटर सपोर्ट सिस्‍टम पर रखा गया था ।

मंगलवार को उनकी हालत ज्‍यादा बिगड़ गई थी। उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी। इसके अलावा उनका ब्लड प्रेशर कम होने के साथ साथ पल्स रेट भी गिर गया था । इस दौरान डॉ. राजेश शर्मा ने बताया था कि गौर की किडनी बिल्कुल भी काम नहीं कर रही है । आगे चलकर मल्टी ऑर्गन फेल होने की स्थिति बन सकती है। बता दें कि पूर्व मुख्‍यमंत्री को सात अगस्त को राजधानी के नर्मदा अस्पताल में भर्ती करवाया गया था । इससे पहले दिल्ली स्थित मेदांता अस्पताल में उनकी एंजियोप्लास्टी की गई थी ।

10 बार लगातार बने सांसद

गौरतलब है कि बाबूलाल गौर ने मध्य प्रदेश की कमान कई सालों तक संभाली थी । गौर ने 2004 में उमा भारती के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद प्रदेश की कमान संभाली थी। वे 1977 से 2013 तक भोपाल की गोविंदपुरा सीट से लगातार 10 बार विधायक रहे थे। वे भाजपा के अकेले नेता रहे जिन्होंने मध्य प्रदेश विधानसभा के लगातार 10 चुनाव जीते। 23 अगस्त 2004 से 29 नवंबर 2005 तक वे मप्र के मुख्यमंत्री रहे थे। 2013 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा फिर सत्ता में आई और उन्हें मंत्री बनाया गया।

बाबूलाल गौर की मृत्यु पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर शौक़ जताया है। उन्होंने गौर की मृत्यु को एक युग का अंत बताया। उन्होंने लिखा,’मध्यप्रदेश की राजनीति में एक युग की समाप्ति। मध्य प्रदेश में भाजपा के आधार स्तंभ, पूर्व मुख्यमंत्री, हमारे मार्गदर्शक व जन-जन के नेता श्री बाबूलाल गौर के निधन से दुःखी हूँ। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें व परिजनों को इस गहन दुःख को सहने की क्षमता प्रदान करें। ॐ शांति ।’ इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर उनकी मृत्यु का दुख प्रकट किया। उन्होंने लिखा,’बाबूलाल गौर जी का लम्बा राजनीतिक जीवन जनता-जनार्दन की सेवा में समर्पित था। जनसंघ के समय से ही उन्होंने पार्टी को मज़बूत और लोकप्रिय बनाने के लिए मेहनत की। मंत्री और मुख्यमंत्री के रूप में मध्यप्रदेश के विकास के लिए किए गए उनके कार्य हमेशा याद रखे जाएंगे।’
बता दें गौर ने 2018 में तबियत खराब होने की वजह से इस्तीफा दे दिया था।

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