समाजवादी के सबसे बुजुर्ग विधायक की मंच पर बेइज़्ज़ती ? खुद वीडियो बनाकर दिया जवाब.. देखें पूरा सच !

तीन जुलाई को आजमगढ़ में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के दौरे के दौरान एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ, जिसमें निजामाबाद विधानसभा सीट से सपा विधायक आलमबदी मंच पर कुछ लोगों के साथ धक्का-मुक्की करते नजर आ रहे थे। इस वीडियो ने राजनीतिक हलकों में सनसनी फैला दी और लोगों ने इसे गुटबाजी या माहौल खराब करने वाली कोशिश माना।
फजीहत फैलाने की साजिश?
हालांकि, विधायक आलमबदी ने इस पर तुरंत प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसी कोई धक्का-मुक्की नहीं हुई, और वे तो मंच पर सभी का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा: “मैं ऐसे किसी भी हादसे से साफ इनकार करता हूँ। मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ।”
उनका कहना है कि वायरल वीडियो एक झूठा प्रचार है और उन्हें बदनाम करने के लिए इसे फैलाया गया है।
वीडियो में क्या दिखा—क्या वास्तव में कुछ गड़बड़ थी?
वायरल क्लिप में विधायक आलमबदी मंच पर खड़े हैं, कुछ लोग उनके पीछे दिखाई देते हैं, लेकिन कोई स्पष्ट हिंसात्मक हालात नजर नहीं आते। नेशनल टीवी पर चले कार्यक्रम में किसी भी प्रकार की बहस या जोर-जबरदस्ती का कोई प्रूफ मौजूद नहीं है।
स्थानीय सूत्र बताते हैं कि कुछ सोशल मीडिया ट्रोल्स द्वारा वीडियो के एक शॉट को एडिट कर अखबारों में भेदभावपूर्ण रूप से फैलाया गया है।
बुजुर्ग विधायक को एक बार फिर जलील किया गया है धक्का देकर स्टेज से हटाया गया क्या या उनकी पार्टी के लोग आलम बदी साहब से माफी मांगेंगे क्या आलमबदी साहब को मुस्लिम होने की वजह से धक्का दिया गया आलमबदी साहब का अपमान पूरे आजमगढ़ का अपमान है जो नाकाबिले बर्दाश्त है@yadavakhilesh pic.twitter.com/gdsqt5QbSt
— Faisal khan 7070 (@FaisalKhan78682) July 3, 2025
क्या है मायने?
आलमबदी लंबे समय से सपा के मजबूत चेहरे हैं। 1996 से लगातार विधायक पद पर बने रहने वाले आलमबदी के खिलाफ इस प्रकार की विदेशी अफवाहें फेंकना सपा नेताओं के अनुसार चुनावी रणनीति का हिस्सा लगता है।
सपा कार्यकर्ता कह रहे हैं कि वायरल फेक वीडियो से भठन कार्यकर्ता और समर्थकों में असमंजस फैलाया गया।
अफवाहें या कलंक?
फिलहाल कोई पुलिस जांच या अपराध दर्ज नहीं हुआ है। परंतु, इस घटना ने सोशल मीडिया के झूठे वीडियो के खतरे पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह दिखाता है कि एक छोटा सा फुटेज भी कैसे किसी नेता की साख को प्रभावित कर सकता है।
इसलिए, वायरल कंटेंट के सत्यापन की जिम्मेदारी और ज़रूरी होती जा रही है।