आर्टिफिशियल स्वीटनर और डाइट ड्रिंक्स 31% स्ट्रोक व 29% तक हृदय रोग का खतरा बढ़ाती हैं

8 हजार महिलाओं पर हुई स्टडी के नतीजे

आर्टिफिशियल स्वीटनर्स और डाइट ड्रिंक्स लेने की आदत है तो अलर्ट होने की जरूरत है। ये स्ट्रोक, हार्ट डिजीज और मौत का खतरा बढ़ाते हैं। 50 से 59 साल की उम्र वाली 80 हजार महिलाओं पर हुई स्टडी में यह साबित भी हुआ है। रिसर्च कहती है, दिनभर में दो से ज्यादा डाइट ड्रिंक्स लेने वालों में इसका खतरा सबसे ज्यादा होता है।

12 साल तक चली रिसर्च
रिसर्च करने वाले न्यूयॉर्क के अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं के मुताबिक, महिलाओं पर 12 साल तक चली स्टडी में सामने आया है कि दो से अधिक डाइट ड्रिंक लेने पर 31 फीसदी तक इस्केमिक स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। 330 एमएल की मात्रा को एक ड्रिंक माना गया। रिसर्च में 5.1 फीसदी ऐसी महिलाएं थीं, जिन्होंने 2 या दो से ज्यादा डाइट ड्रिंक्स ली थीं। इनमें स्ट्रोक के अलावा मोटापा बढ़ने का भी खतरा था।

इतना है खतरा
रिसर्च रिपोर्ट कहती है, 2 या दो से अधिक ड्रिंक्स लेने वालों इस्केमिक स्ट्रोक का खतरा 31 फीसदी और स्ट्रोक का रिस्क 23 फीसदी तक बढ़ जाता है। वहीं, कोरोनरी हार्ट डिजीज का खतरा 29 फीसदी और मौत का खतरा 16 फीसदी बढ़ता है। ऐसे लोगों में इस्केमिक स्ट्रोक का खतरा ज्यादा रहता है। यह ब्रेन की धमनियों में रक्त के थक्के जमने के कारण होने वाला सबसे कॉमन स्ट्रोक है।

क्या है आर्टिफिशियल स्वीनर और डाइट ड्रिंक्स
आर्टिफिशियल स्वीनर ऐसे केमिकल्स को कहते हैं जो खाने की चीजों, ड्रिंक्स को मीठा बनाने का काम करते हैं। इनका स्वाद शक्कर के जैसा ही होता है। डाइट ड्रिंक्स सॉफ्ट ड्रिंक्स की तरह ही होती है सिर्फ कैलोरी का फर्क होता है। इन सभी ड्रिंक्स में आर्टिफिशियल स्वीटनर का प्रयोग किया जाता है, अधिक मात्रा में इसका सेवन सेहत के लिए कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है।

स्ट्रोक के सबसे ज्यादा मामले पं. बंगाल और छत्तीसगढ में

दयानन्द मेडिकल कॉलेज, लुधियाना के न्यूरोलॉजिस्ट और शोधकर्ता डॉ. गगनदीप सिंह कहते हैं, स्ट्रोक के मामलों में पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ सबसे ऊपर है। हालांकि, इसकी सटीक वजह पता नहीं चल पाई है। इससे निपटने के लिए स्ट्रोक के इलाज में इस्तेमाल किए जाने वाले मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने और बेहतर बनाने की जरूरत है। स्ट्रोक के मामले रोकने के लिए डायबिटीज, स्मोकिंग और हाईब्लड प्रेशर को कंट्रोल करना जरूरी है।

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