पूर्व मुख्यमंत्रियों को यूँ रेवड़ियां बांट रही थी उत्तराखंड सरकार, मामला हाइकोर्ट में गया

उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्रियों(Ex-CM) को सरकारी दर पर आवास और सुविधाओं का किराया भरपाई पर उत्तराखंड (Uttarakhand) सरकार के अध्यादेश (Ordinance) को हाईकोर्ट में चुनौती (High Court) मिली है। इस अध्यादेश को असंवैधानिक (Unconstitutional) घोषित करने को लेकर अवधेश कौशल (Awdhesh Kaushal) ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

अवधेश कौशल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है जिसमे लिखा है कि राज्य सरकार जो अध्यादेश लाई है वह संविधान के आर्टिकल 14 और 21 के विपरीत है। इससे पहले भी उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में राज्य सरकार के उस अध्यादेश को चुनौती दी गई है जिसमे राज्य सरकार ने नैनीताल हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच (Division Bench) के पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी सुविधाओं का सरकारी भाव (Market Rate) से पैसा वसूलने के आदेश को इस अध्यादेश से निष्प्रभावी कर दिया था।

बीजेपी सरकार दे रही थी बीजेपी पूर्व मुख्यमंत्रियों को मुफ्त सुविधा

दरअसल हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने 3 मई, 2019 को जारी अपने आदेश में कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री बाजार भाव से बंगले, गाड़ी आदि सभी सुविधाओं का किराया वहन करेंगे। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा था कि 6 महीने के अंदर सभी पैसा जमा करें और अगर ऐसा नहीं करते हैं तो सरकार इनके खिलाफ वसूली की कार्रवाई शुरु करें। हाईकोर्ट के इस आदेश को दो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने चुनौती भी दी थी जिसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद राज्य सरकार के लिए इन दो मुख्यमंत्रियों के अलावा रमेश पोखरियाल निशंक और मेजर जनरल (रिटायर्ड) बीसी खंडूड़ी से भी पैसा वसूलना पड़ता। इसलिए हाई कोर्ट के आदेश को निष्प्रभाव करते हुए राज्य सरकार ने अध्यादेश निकाला था। अध्यादेश में कैबिनेट ने फ़ैसला किया था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगलों, गाड़ी के किराए का भुगतान सरकार करेगी और उन्हें सभी सुविधाएं पहले की तरह मुफ्त दी जाती रहेंगी। बता दें इस अध्यादेश के सहारे सुविधाओं का लाभ उठाने वाले ज़्यादातर नेता बीजेपी के हैं।

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