बड़ी खबर: BJP नेता को पत्नी ने मारा चाकू, हालत गंभीर.. वजह आपको हैरान कर देगी !

उत्तर प्रदेश के अमेठी ज़िले में भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के पूर्व जिलाध्यक्ष मोहम्मद कलीम किदवई पर उनकी पत्नी ने चाकू से जानलेवा हमला कर दिया। यह घटना मंगलवार को ऊंचगांव गांव में उस समय हुई जब घरेलू विवाद ने अचानक हिंसक रूप ले लिया। गंभीर रूप से घायल भाजपा नेता को तत्काल ट्रामा सेंटर जगदीशपुर में भर्ती कराया गया है।
पहली शादी की बात छिपाने पर भड़की पत्नी
घटना के पीछे जो कारण सामने आया है, वह है विश्वासघात और झूठ। मोहम्मद कलीम ने अपनी पत्नी समा से यह बात छिपाई थी कि उन्होंने पहले भी एक निकाह किया था और उस पत्नी को तलाक दे चुके हैं। जब समा को यह सच्चाई पता चली, तो पति-पत्नी के बीच कई महीनों से तनाव चल रहा था। इसी बात पर मंगलवार को कहासुनी हुई और मामला इतना बढ़ गया कि समा ने चाकू उठा लिया।
गले और पैर पर किए गए कई वार, खून से लथपथ मिले कलीम
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमले के दौरान समा ने कलीम के गले और पैर पर चाकू से कई बार वार किए। घायल भाजपा नेता ने किसी तरह अपने रिश्तेदारों को फोन कर मदद के लिए बुलाया। आनन-फानन में उन्हें ट्रामा सेंटर जगदीशपुर पहुंचाया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
पुलिस ने आरोपी पत्नी को हिरासत में लिया, चाकू बरामद
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और समा को हिरासत में ले लिया। घटनास्थल से हमले में इस्तेमाल किया गया चाकू भी बरामद कर लिया गया है। समा ने पूछताछ में बताया कि कलीम ने उसे धोखे में रखकर निकाह किया और अब उसे लगातार धमकियां भी दे रहे थे। ऐसे में उसने जान बचाने के लिए चाकू उठाया।
पुलिस जांच जारी, अभी FIR नहीं दर्ज
थानाध्यक्ष अभिनेष कुमार ने बताया कि दोनों पक्षों से मौखिक सूचना ली गई है। घायल का बयान दर्ज कर लिया गया है, लेकिन अभी तक किसी पक्ष ने लिखित तहरीर नहीं दी है। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच के बाद विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी।
राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार में पारिवारिक कलह
मोहम्मद कलीम किदवई मूल रूप से निहालगढ़ (जगदीशपुर) के रहने वाले हैं और वह भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के पूर्व जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं। फिलहाल वह ऊंचगांव में अपनी दूसरी पत्नी समा के साथ रह रहे थे। उनके राजनीतिक रसूख के कारण यह मामला और भी संवेदनशील माना जा रहा है।
घरेलू कलह बना जानलेवा हमला
इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि पारिवारिक विवाद कैसे हिंसक रूप ले सकता है, भले ही वह किसी राजनीतिक हस्ती का ही क्यों न हो। अमेठी की यह वारदात न केवल कानून-व्यवस्था बल्कि सामाजिक चेतना के लिए भी एक चुनौती बनकर सामने आई है।