अमेठी : स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही से नवजात की चली गई जान

अमेठी। सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था में कितना भी चुस्त-दुरुस्त क्यों ना कर दे लेकिन आज भी बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के कारण तमाम जाने चली जाती है। ऐसा ही एक मामला अमेठी जनपद में देखने को मिला जहां पर अस्पताल कर्मियों की लापरवाही से नवजात शिशु की जान चली गई जिस पर पीड़ित महिला के परिजनों ने संबंधित थाने में लिखित तहरीर देकर संबंधित अस्पताल के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की है जिससे भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति ना हो सकें।

बता दें कि अमेठी जनपद जो कि पूर्व में कांग्रेस पार्टी का गढ़ के रूप में जाना जाता रहा है यहां पर पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी सोनिया गांधी राहुल गांधी लगातार सांसद और प्रधानमंत्री रहे हैं वहीं पर क्षेत्र के मुंशीगंज कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत मुंशीगंज कस्बे में अस्सी के दशक में कांग्रेस पार्टी के द्वारा क्षेत्र की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिए संजय गांधी अस्पताल की आधारशिला रखी गई। जिसके बाद से इस अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया होती रही है। वर्तमान में इस अस्पताल की ट्रस्टी कांग्रेस की सर्वे सर्वा सोनिया गांधी हैं। अमेठी जनपद जब नहीं बना था तब यहां पर ठीक-ठाक अथवा अच्छे अस्पतालों की श्रेणी में एकमात्र अस्पताल संजय गांधी हॉस्पिटल हुआ करता था लेकिन पिछले डेढ़ दशक से यह की हालत लगातार खराब होती चली गई धीरे धीरे यह अस्पताल पीड़ित के लूट खसोट का अड्डा बनने लगा। यहां पर पहुंचने वाले मरीजों से अनाप-शनाप पैसे लिए जाते रहे और कई बार यहां पर स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही के चलते कई जाने चली गई जिसके चलते यह सुर्खियों में आया । यहीं पर इसी तरह की ही घटना का आज फिर पुनरावृति हुई है जहां पर एक महिला को डिलीवरी के दौरान लेबर पेन की शिकायत होने पर परिजनों के द्वारा संजय गांधी अस्पताल ले जाया गया जहां पर उसकी हिस्ट्री देखने के बाद अस्पताल वालों ने उसको तत्काल एडमिट कर लिया और उन्होंने कहा कि इसकी नॉर्मल डिलीवरी हो जाएगी चिंता की कोई बात नहीं है जबकि वहां पर कोई डॉक्टर मौजूद नहीं थे और सबसे बड़ी बात तो यह है कि यहां पर बच्चों के भी कोई डॉक्टर नहीं है इस बात की जानकारी अस्पताल प्रशासन के द्वारा परिजनों को नहीं दी गई गुरुवार की रात 11:30 बजे महिला को भर्ती किया गया उसके बाद उसको देखने के लिए कोई नहीं पहुंचा सुबह जब 9:30 बज गए महिला दर्द से कराह रही थी इस बीच में उसको कई बार दवाई दी गई जिससे दर्द कम हुआ सुबह 9:30 बजे जब इसकी शिकायत परिजनों द्वारा अस्पताल के प्रबंधक भोलानाथ त्रिपाठी से की गई तब जाकर कोई डॉक्टर महिला की डिलीवरी कराने के लिए पहुंचा और 10 मिनट में परिजनों को सूचना दी गई की आपका मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ है जब परिजन इस पर शोर मचाने लगे तब अस्पताल कर्मियों ने कहा कि नहीं अभी उसकी धड़कन चल रही है हम लोग उसका इलाज कर रहे हैं वह ठीक हो जाएगा इस पर परिजन परिजन को अस्पताल के द्वारा बताई गई दो तरह की बातों पर जब संदेह हुआ तब उन्होंने इस बात की सूचना पुलिस को दी मौके पर पहुंची जब पुलिस पहुंची तब अस्पताल कर्मियों ने बताया कि इनका बच्चा खत्म हो चुका है ऐसे में परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इन लोगों की लापरवाही के चलते बच्चे की जान चली गई है क्योंकि यहां पर कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था नहीं तो बच्चे को बचाया जा सकता था इसी के साथ उन्होंने यह भी नहीं बताया था कि हमारे यहां बच्चों के डॉक्टर नहीं है नहीं तो हम लोग इसको कहीं अन्यत्र लेकर जाते जब हमने सारी बात इनको बताई थी तब इन्होंने हम लोगों को आश्वासन दिया था कि चिंता की कोई बात नहीं है महिला की नॉर्मल तरीके से डिलीवरी होनी सुनिश्चित है वहीं पर सूचना पर पहुंची पुलिस ने पीड़ित की तरफ से तहरीर लेकर जांच शुरू कर दी इस मामले में जब अस्पताल के डॉक्टर संजीव तिवारी से बात की गई तो उन्होंने बताया की ऐसी कोई बात नहीं है हम लोगों ने पहले ही इस बात को बता दिया ताकि हमारे यहां बच्चों के डॉक्टर नहीं है और बच्चे के पैदा होने के बाद भी हम लोगों ने बच्चे को बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन बच्चा नहीं बच सका इस में अस्पताल कर्मियों का कोई दोष नहीं है। फिर आप परिजनों ने काफी हंगामा काटने के बाद पुलिस प्रशासन से अनुरोध किया है कि यह लोग पैसा रखने के लिए इस तरह का कदम उठाए हैं ऐसे में इनको कठोर से कठोर सजा दी जाए जिससे इस तरह की हरकत यह भविष्य में किसी के साथ दोबारा ना करें।

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