Amethi Loksabha Elections 2024: अमेठी से क्यों चुनाव नहीं लड़े राहुल गांधी..आइए जानते हैं?

राहुल गांधी अपनी पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं, जबकि स्मृति ईरानी का कद बीजेपी में उतना बड़ा नहीं है। ऐसे में अगर राहुल अमेठी से चुनाव हार जाते हैं तो पार्टी में उनके छवि पर एक बड़ा दाग लग जायेगा।

Amethi Loksabha Elections: काफी जद्दोजहद के बाद आखिरकार कांग्रेस ने अपने पत्ते खोल ही दिए। कांग्रेस ने अमेठी और रायबरेली सीट पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। अमेठी से किशोरीलाल शर्मा तो रायबरेली से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) होंगे प्रत्याशी। आज दोनों प्रत्याशी अपने-अपने लोकसभा सीटों पर जाकर नामांकन करेंगे। नीचे हम आपको कुछ ऐसे कारण बताएंगे, जिसकी वजह से राहुल अमेठी से न लड़कर रायबरेली से चुनाव लड़े हैं।

आइए जानते हैं आखिरकार राहुल अमेठी से क्यों नहीं लड़े ?

1. 2019 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी कभी-कभार ही अमेठी आए हैं, जबकि स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने यहां पर अपना घर तक बनवा लिया है और यहां की वोटर भी बन गई हैं। राहुल गांधी की बात करें तो वह 2019 में हार के बाद करीब 2 साल बाद 2021 में कांग्रेस के जन जागरण अभियान में शामिल होने के लिए अमेठी पहुंचे थे। उसके बाद वह करीब 2 साल बाद फिर 2023 में भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होने के लिए अमेठी आए थे। जबकि स्मृति ईरानी ने यह घोषणा की थी की, यदि मैं चुनाव जीतती हूं तो किसी भी परिस्थिति में मैं अमेठी के जनता के साथ रहूंगी और उनका पूरा ख्याल रखूंगी।

2. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की इसी उदासीनता के चलते अमेठी के ज्यादातर कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता पार्टी छोड़कर BJP में शामिल हो गए। जिसमें सबसे बड़ा नाम संजय सिंह का है। संजय सिंह यहां से सांसद और विधायक रह चुके हैं और ऊपर से देखा जाए तो कांग्रेस को अमेठी में स्थापित करने का श्रेय भी संजय सिंह को ही जाता है। ऐसे में संजय सिंह का कांग्रेस छोड़ने के बाद बड़ी संख्या में कार्यकर्ता पार्टी छोड़ BJP में आ गए।

3. पॉलिटिकल एक्सपर्ट के अनुसार, राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के एक स्थापित और सबसे बड़े नेता हैं। जबकि इनकी तुलना में स्मृति ईरानी का BJP में उतना बड़ा कद नहीं है। ऐसे में कहीं अगर जनता राहुल को चुनाव हरा देती तो इससे राहुल गांधी की छवि को बहुत बड़ा धक्का लगता। और राजनीतिकरूप से राहुल की पूरे देश में बहुत किरकिरी होती। ऐसे में राहुल का अमेठी (Amethi) से न लड़कर रायबरेली से लड़ने का फैसला सही माना जा सकता है।

 

 

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