कोरोना मरीजों की सभी मौत को कोविड डेथ माना जाएगा- सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का हलफनामा

नई दिल्ली. देशभर में कोरोना वायरस (Coronavirus) से मौत को लेकर मचे बवाल के बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा है कि अगर किसी भी व्यक्ति की कोरोना से मौत (Corona Death) अस्पताल के बाहर भी हुई है तब भी उसे ‘कोविड डेथ’ ही माना जाएगा. बता दें कि कई रिपोर्ट्स में ऐसी शिकायतें आई थीं कि सरकार सिर्फ अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों की मौत के आंकड़े को ही पेश कर रही है. इसे लेकर दायर याचिका पर सरकार ने 183 पन्नों का हलफनामा दायर किया है, जिसमें केंद्र ने कहा है कि इस नियम का पालन नहीं करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से हुई मौतों पर मुआवजे और प्रमाणन के लिए दायर एक याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था. इस याचिका में कहा गया है कि कोरोना पीड़ितों के मृत्यु प्रमाणपत्र में मौत के कारण में कोविड का जिक्र नहीं है, जिससे परिवारों को मुआवजा मिलना मुश्किल हो जाता है. इसे लेकर केंद्र को जारी नोटिस में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था, ‘मृत्यु प्रमाणपत्र में मौत की वजह से हार्ट फेल या फेंफड़े में समस्या लिखा गया है. क्या कोरोना पीड़ितों के मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने के लिए कोई एकसमान नीति या कोई गाइडलाइन है?’

दरअसल अब तक कोविड रोगियों की अस्पतालों में हुई मृत्यु को ही बस कोविड से हुई मौत माना जाता था. यहां तक कि होम आइसोलेशन या​ अस्पताल के बाहर होने वाली मौतों को कोविड से मौत में नहीं गिना जाता था. इस वजह से मौत के आंकड़ों में विसंगतियों की शिकायत आ रही थीं.

पिछले कुछ समय से मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि देशभर में कोरोना से मौत की संख्या सरकारी आंकड़े से कई गुना ज्यादा है. मौत के आंकड़ों को लेकर मुख्य तौर पर 5 राज्यों पर सवाल उठाए जा रहे हैं. ये हैं मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और दिल्ली. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि यहां अकेले 4 लाख से ज्यादा मौतें हुईं हैं. हालांकि सरकार ने पहले ही इन रिपोर्ट्स को खारिज करते हुए आधारहीन बताया है.

मौत की संख्या में अचानक इज़ाफ़ा

महाराष्ट्र में पिछले 12 दिनों में कोरोना से मरने वालों की संख्या बढ़ कर 8800 पहुंच गई. बता दें कि महाराष्ट्र में अब तक 1.17 लाख लोगों की कोरोना से मौत हुई है. उधर पटना हाईकोर्ट ने भी शनिवार को बिहार के आंकड़ों में हेराफेरी को लेकर नाराज़गी जताई थी. बता दें कि दो हफ्ते पहले अचानक बिहार ने मौत का आंकड़ा अपडेट करते हुए हर किसी को हैरान कर दिया था. यहां 5 हजार नई मौतें दिखाई गई थी. दलील दी गई थी कि ये पिछले महीने के पुराने डेटा हैं.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को ये भी बताया है कि कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को 4 लाख रुपये का मुआवजा नहीं दिया जा सकता है.सरकार ने कहा कि आपदा कानून के तहत अनिवार्य मुआवजा सिर्फ प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़ आदि पर ही लागू होता है. सरकार की ओर से कहा गया है कि अगर एक बीमारी से होने वाली मौत पर अनुग्रह राशि दी जाए और दूसरी पर नहीं तो ये गलत होगा.

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