सितंबर में आएगी ‘प्लेन क्रैश’ की जांच रिपोर्ट, 3 महीने बाद पता चलेगा हादसे का कारण, जानिए क्या-क्या होगा ?

केंद्रीय उड्डयन मंत्री किंजारापु राम मोहन नायडु ने अहमदाबाद एयर इंडिया फ्लाइट AI‑171 क्रैश मामले की जांच की जिम्मेदारी एक उच्च स्तरीय समिति को सौंपते हुए कहा कि यह समिति तीन महीनों में अपनी रिपोर्ट जमा करेगी। यह कदम विमानन सुरक्षा और भविष्य में ऐसी त्रासदियों की रोकथाम की दिशा में एक बड़ा संकेत माना जा रहा है।

समिति का गठन: कौन करेगा जांच ?

समिति का नेतृत्व मंत्री (होम) सचिव करेंगे, जिसमें शामिल होंगे:

  • केंद्रीय और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी,
  • विमानन विशेषज्ञ,
  • DGCA, Airports Authority और अन्य एजेंसियों के प्रतिनिधि।

इसका उद्देश्य होगा:

  • हादसे के मूल कारणों की पहचान – जैसे तकनीकी दोष, मानव त्रुटि या मौसमीय बाधाएं,
  • आपातकालीन उपाय और SOP का पुनर्मूल्यांकन ।

जांच में क्या-क्या शामिल है?

समिति को निम्नलिखित दस्तावेजों व जानकारियों तक पूर्ण अधिकार होगा:

  • उड़ान डेटा रिकॉर्डर (ब्लैक बॉक्स),
  • रख-रखाव लॉग्स,
  • ATC संवाद,
  • गवाहों, चालक दल व तकनीशियनों के बयान।
  • वे साइट निरीक्षण भी करेंगे, और यूरोपीय, अमेरिकी, बोइंग आदि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के विशेषज्ञों के साथ तालमेल बनाएं रखेंगे ।

समयसीमा और रिपोर्टिंग डीलाइन

समिति को 13 सितंबर 2025 तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी ।

रिपोर्ट में शामिल हो सकते हैं:

  • तकनीकी एवं ऑपरेशनल खराबियाँ,
  • पायलट की प्रशिक्षण–प्रक्रिया,
  • विमान निर्माता के मानक,
  • विमानन सुरक्षा और एहतियाती उपायों में हो सुधार और SOP सुझाव।

इससे क्या बदल सकता है? सुरक्षा में सुधार

इस फैसले से विमानन क्षेत्र में कई अहम सुधार हो सकते हैं:

  • नए SOP और मानक – खामी खोलेगी ऐसी प्रक्रियाओं की जो अब थप पहरे वाले होंगे।
  • आपातकालीन व्यवस्था सुदृढ़ – को-ऑर्डिनेशन और प्रतिक्रियात्मक क्षमता बढ़ाना।
  • सुरक्षा मानकों की निगरानी – DGCA की नियमबद्ध निरीक्षाएँ तेज होंगी; 787 Dreamliner जैसे बेड़े की समीक्षा विदेशी सहयोग के साथ।

एक दुखद त्रासदी, लेकिन सुधार की उम्मीद

AI‑171 हादसा न केवल एक दुखद घटना है, बल्कि यह विमानन सुरक्षा में गहरी समीक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करता है। तीन महीने में रिपोर्ट तैयार करना इसे ज़रूरी बदलावों की दिशा में तेज़ प्रक्रिया दिखाता है। अब यह सरकार और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) पर निर्भर करता है कि क्या वे नए सुझावों को लागू कर भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोक पाते हैं।

 

Related Articles

Back to top button