लूट का अड्डा बनता जा रहा एम्स…

उत्तर प्रदेश – रायबरेली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना का मकसद यही था कि स्थानीय जनपद के अलावा दूरदराज के जिलों के लोगों को उच्च स्तरीय उपचार दिया जा सके। लेकिन कई वर्ष गुजर गए हैं यहां की बदहाली अभी भी नहीं बदली जैसे का तैसा नजर आ रहा है।अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में चल रहे बड़े पैमाने के खेल से सरकार के सभी दावे फेल हो रहे हैं। रायबरेली ही नहीं बल्कि सुदूर क्षेत्रों से यहां इलाज के लिए आने वाले मरीजों का जमकर शोषण किया जा रहा।

यहां सस्ती दवाएं उपलब्ध कराए जाने को अमृत फार्मेसी की जिम्मेदारी है। लेकिन अस्पताल में डाक्टरों को लगी कमीशनखोरी की लत के चलते एक से दो दवाओं को छोड़ करके लिखी जाने वाली अधिकांश दवाएं यहाँ मेडिकल स्टोरों में मिलती हैं। गंभीर रोगों के इलाज में हजारों रुपयों की कीमत के लिखें जाने वाले इंजेक्शनों पर चिकित्सकों का अच्छा खासा कमीशन सेट होता हैं।

सूत्रों की मानें तो यहां डाक्टरों की मनमानी के चलते आम आदमी को अपने मरीज का इलाज कराना बाहर की दवाइयां लिखते हैं जिसकी वजह से रोजाना किसी मरीज के तीमारदारों से मेडिकल स्टोर वालों से झगड़ा होता है । पिछले कुछ समय से ही एम्स में इलाज के नाम पर खुली लूट शुरू हो गई है।

एम्स में डाक्टरों की ओपीडी के दौरान भी दवा कम्पनियों के एमआर की भीड़ इस खेल को बताने के लिए पर्याप्त है। जबकि सरकार का सख्त आदेश है कि मरीजों को इलाज के लिए महंगे दामों की दवाओं को खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जाए। बावजूद इसके यहाँ आने वाले मरीजों के तीमारदारों का जमकर लूटा जा रहा है।

जब एम्स के निदेशक प्रो. अरविन्द राजवंशी से बात की गई तो उन्होंंने इस विषय पर बात करने से मना कर दिया जिससे साफ जाहिर होता है एम्स की पूरी व्यवस्थाएं और प्रशासनिक व्यवस्थाएं सभी पूरी तरीके से चौपट हो चुकी हैं कोई सुनने को तैयार नहीं हर और बदहाली ही बदहाली दिख रही है। ऐसे में भला सरकार के वह वादे जमीन पर नहीं है। आम जनमानस क्या करें और रोने के सिवाय हर तरफ आवाजे मौन हैं। कोई कुछ सुनने के लिए तैयार नहीं।

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