बीमार पड़ रहे आंदोलनरत किसान, टिकरी बॉर्डर पर 50 फीसदी को नजला, खांसी, जुकाम

नई दिल्ली : नए कृषि कानूनों (New Farm laws) के खिलाफ दिसंबर की ठंड में लगातार 13 दिन से दिल्ली बॉर्डर (Delhi Border) पर डटे किसानों के स्वास्थ्य पर असर पड़ने लगा है। टिकरी बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों में से लगभग 50 फीसदी को नजला, खांसी, जुकाम और कान में दर्द की शिकायत होने लगी है।

प्रदर्शन स्थल पर मेडिकल सुविधा प्रदान कराने वालों का कहना है कि आंदोलन शुरू होने से लेकर अब तक लगभग 50 फीसदी लोग यहां सर्दी लगने से संबंधित बीमारियों की दवा के लिए आ चुके हैं। इन लोगों में सबसे अधिक संख्या में बुजुर्ग सर्दी का शिकार हो रहे हैं। मेडिकल सुविधा प्रदान करने वाले आंदोलनरत किसानों को प्रतिदिन आयुर्वेदिक दवाइंया उपलब्ध करवा रहे हैं। इन दवाओं से लोगों को तुरंत राहत मिल रही है।

सर्दी और दूषित हवा है किसानों की बीमारी का कारण

आंदोलनरत किसानों को मेडिकल सुविधा प्रदान करने वाले डॉक्टर की मानें तो किसानों के इस तरह से बीमार पड़ने का कारण मुख्य रूप से सर्दी और दूषित हवा तथा पानी है। यही कारण है कि अधिकतर लोगों को यहां पर जुकाम, खांसी और नजला की शिकायत हो रही है। इसके अलावा बुजुर्गों की नींद न पूरी होना और दिन रात शोर शराबे के बीच रहना उन्हें बीमार बना रहा है।

पीएम ने आज बुलाई कैबिनेट बैठक

वहीं किसानों को देशभर से समर्थन मिलता देख अब सरकार कुछ नरम पड़ती दिख रही है। मंगलवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 13 किसान नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया। उन्होंने किसानों से कहा कि एपीएमसी पर सरकार नया लिखित कानून देनों को तैयार है। लेकिन किसान अपनी मांग पर अड़े रहे। फिलहाल छठे दौर की वार्ता अब खटाई में पड़ गई है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार यानी आज सुबह कैबिनेट की बैठक बुलाई है।

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