धनतेरस पर खुल गया धन का प्रसाद देने वाला बनारस का ये मंदिर, साल में बस चार दिन खुलता है

 

धर्म की नगरी काशी में वैसे तो हर पर्व पर यहां मंदिरों में भक्तो की भीड़ उमड़ती है, लेकिन काशी विश्वनाथ धाम परिसर में एक ऐसा भी मन्दिर है जो पूरे साल में महज चार दिनों के लिए खोला जाता है।

दरसअल काशी विश्वनाथ मंदिर के करीब माता अन्नपूर्णा का मन्दिर है और इस मंदिर परिसर में ही माता अन्नपूर्णा का स्वर्ण और हीरो जवाहरातों से जड़ित माता अन्नपूर्णा, लक्ष्मी देवी और भूमि देवी का मन्दिर है | जिसे पूरे साल में महज 4 दिनों के लिए खोला जाता है | सैकड़ो साल पुराने इस मंदिर के धनतेरस के दिन मंगला आरती के बाद खोला और चार दिनों तक रात्रि 11 बजे शयन आरती के बाद बन्द कर दिया जाता है। लेकिन इस मंदिर में दर्शन करने की मान्यता धनतेरस के दिन विशेष है |

इस दिन मन्दिर में दर्शन करने वाले लाखों भक्तो को पूजित खजाना ( धन) बांटा जाता है, साथ ही धान का लावा भी दिया जाता है | जिसे भक्त अपने घर ले जाकर धनतेरस के दिन पूजा करते है और अपने घर लाकर पूजा के स्थान पर रखते है।

मंदिर के महंत रामेश्वर पूरी ने बताया कि इस मंदिर के महंत पूर्वजो को माता अन्नपूर्णा ने सपना दिया और धनतेरस के दिन मंदिर के महंत और भक्तो के दर्शन की बात कही थी | उसके बाद से भक्तो को यहां प्रसाद के रूप में धन और अन्न के रूप में धान दिया जाता है।

लाखों की संख्या में आते है दुनिया भर से लोग

काशी विश्वनाथ मंदिर के परिसर में इठा मन्दिर में माता अन्नपूर्णा और लक्ष्मी देवी के साथ भूमि देवी का स्वर्ण प्राचीन विग्रह है | दरसअल धनतेरस के दिन भी धन्वंतरि ऋषि का जन्म हुआ था | जो सभी औषधि के ज्ञाता थे। यही वजह है कि उत्सव को मंदिर में धूमधाम से मनाया जाता है | पहले ये मन्दिर कुछ देर के लिए खुलता था, लेकिन धीरे धीरे इस मंदिर में वाराणसी के साथ ही पूर्वांचल और भारत के अलग अलग राज्यो के अलावा दुनिया के कई देशों से लोग आते है |

यही वजह है कि यहां सालों साल भक्तो की भीड़ बढ़ती जा रही है | मंदिर के आचार्य पण्डित रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि मंदिर बहुत प्राचीन है और यहां से ले जाये गए धन और धान की पूजा सच्चे मन और आस्था के साथ करने से मनुष्य धनवान और निरोगी रहता है |

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