क्रिप्टोकरेंसी का सरगना गिरफ्तार:गिरोह ने 26 देशों में 8 हजार लोगों से की थी 100 करोड़ की ठगी, जबलपुर में ठगे थे पौने 2 करोड़; गिरफ्तारी पर था 10 हजार का इनाम

क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर 100 करोड़ की हुई थी ठगी।

क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर जबलपुर में पौने दो करोड़ रुपए की ठगी करने वाले रूपिंदर पाल सिंह छाबड़ा को भोपाल STF ने गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्त में आए छाबड़ा से चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। आरोपी और उसका गिरोह कुछ विदेशी लोगों से ठगी का हुनर सीख कर 26 देशों में 8 हजार लोगों को ठग चुका है। गिरोह ने जबलपुर के अलावा भोपाल, रायपुर, मुंबई, चंडीगढ़, दिल्ली, जालंधर, अमृतसर और दिल्ली सहित कई शहरों में अपना नेटवर्क तैयार किया था। आरोपी एक सदस्य बनाने पर 30% तक कमीशन देते थे।

STF की गिरफ्त में आए रूपिंदर सिंह छाबड़ा ने भी पूर्व के आरोपियों के खुलासे की पुष्टि की है। 2017 से 2019 के बीच इस गिरोह ने भारत के अलावा हांगकांग, चीन, दुबई, मलेशिया, श्रीलंका, नेपाल, भूटान सहित 26 छोटे-बड़े देशों में रह रहे 8 हजार 372 लोगों से ठगी कर चुका था। इसमें 70% NRI थे। सभी को क्रिप्टोकरेंसी PGUC (प्लस गोल्ड यूनियन क्वाइन) में निवेश का लालच देकर मोटा मुनाफा कमाने के झांसे में फंसाते थे। इस रकम को वे जमीन, मकान, दुकान, मुजरा नाइट, बॉलीवुड हाइट्स, गोवा में कसीनो, एपी-3 मॉशन पिक्चर्स प्रोडक्शन, महफिल-ए-उमराव जान आदि में निवेश किए थे।

इस तरह करता था बिजनेस

आरोपी मदनमहल जबलपुर निवासी रूपिंदर पाल सिंह छाबड़ा मल्टीलेवल मार्केटिंग के तर्ज पर व्यापार करता था। इस गिरोह में भोपाल निवासी राजीव शर्मा, जबलपुर शक्ति नगर निवासी ब्रजेश रैकवार, उसकी पत्नी सीमा, विनीत यादव और मुंबई के वर्ली में रहने वाला रूपेश राय शामिल थे। गिरोह हांगकांग में रहने वाले केविन और मलेशिया में रहने वाले डेनियल फ्रांसिस से मिलकर ये ठगी का धंधा चला रहे थे। आरोपियों ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार की आड़ में क्रिप्टोकरेंसी को भारतीय स्वरूप देते हुए PGUC (प्लस, गोल्ड यूनियन क्वाइन) नाम से वेबसाइट बनाया था।

जून 2019 को हुआ था इस गिरोह का खुलासा
क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर ठगी की वारदात करने वाले इस गिरोह का खुलासा STF ने जून 2019 में किया था। तब गिरफ्त में आए आरोपियों की पूछताछ में यह पता चला था कि सरगना वर्ली मुंबई निवासी रूपेश राय है। राय होटल और रियल एस्टेट का कारोबारी है। रैकवार दंपती जहां दिल्ली से काम संभाल रहे थे। वहीं जबलपुर मदनमहल निवासी रूपिंदर पाल सिंह छाबड़ा को जबलपुर सहित छत्तीसगढ़ का मुखिया बनाया था। छाबड़ा का रियल एस्टेट, होटल और इवेंट मैनेजमेंट का कारोबार था, जबकि भोपाल का राजीव शर्मा वहां से निवेशकों को लुभाता था। इस गिरोह ने 100 करोड़ से अधिक की ठगी की है।

कई चौंकाने वाले खुलासे हुए थे

गिरोह का सरगना रूपेश राय 10वीं पास डिप्लोमाधारी और एयर कंडीशनर का टेक्नीशियन था लेकिन क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कराकर ठगने के लिए आरोपियों ने हांगकांग के शेयर बाजार की एक फर्जी वेबसाइट भारत में बनाई। इसका सर्वर जयपुर में लगाया। देखने में ये वेबसाइट बिल्कुल हांगकांग के शेयर बाजार की तरह ही लगती थी। लोग भ्रमित होकर इस वेबसाइट को हांगकांग के शेयर बाजार की समझ क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने लगे थे।

ठगी के लिए बड़ी पार्टियां करता था गिरोह

आरोपी निवेशकों को लुभाने के लिए मुंबई, दिल्ली, चंडीगढ़, भोपाल, रायपुर, जालंधर, अमृतसर जैसे शहरों में मीटिंग और बड़ी पार्टी की। मगर 2017-18 में आभासी मुद्रा (वर्चुअल करेंसी) की कीमतें तेजी से गिरीं तो यह कारोबार भी प्रभावित हुआ था। दिसंबर 2017 में सी सेक्स एक्सचेंज बंद हो गया तो ब्रजेश-रूपेश और उनके साथियों ने PGUC (प्लस गोल्ड यूनियन क्वाइन) शुरू किया था, जिसका जयपुर में सर्वर रखा था। वहां से कारोबार चलाते थे।

100 से ज्यादा पीड़ितों की पहचान

आरोपी क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से निवेश के लिए लोगों को प्रलोभन देते थे कि उन्हें हर महीने 20 से 30% मुनाफा होगा। आरोपी लोगाें से 3-15 लाख रुपए तक निवेश कराते थे। निवेशक को वे चैन बनाने का लालच देते और नए निवेशक लाने पर 30% तक कमीशन देते थे। 26 जून 2019 को इस मामले में आरोपियों पहले ब्रजेश उसकी पत्नी सीमा, विनीत फिर राजीव शर्मा सहित अन्य की गिरफ्तारी हुई थी। 8 सितंबर 2019 को रूपेश राॅय ने खुद सरेंडर कर दिया था। पर जबलपुर मदनमहल निवासी रूपिंदर पाल सिंह छाबड़ा फरार चल रहा था। उसकी गिरफ्तारी पर 10 हजार रुपए का इनाम घोषित था।

ऐसे हुआ था खुलासा

क्रिप्टोकरेंसी में गिरावट होने के बाद जब निवेशकों ने पैसे वापस मांगने लगे तो रूपिंदर पाल सिंह छाबड़ा ने जबलपुर के गढ़ा में तो राजीव शर्मा ने भोपाल STF में 2018 में मामले की शिकायत की थी। दोनों ही मामले में जबलपुर शक्तिनगर निवासी ब्रजेश रैकवार उसकी पत्नी सीमा और रूपेश राय के खिलाफ शिकायत की और खुद को पीड़ित बताया था। रूपिंदर ने जबलपुर में परिचितों और करीबियों से पौने दो करोड़ रुपए के निवेश कराए थे। STF ने मामले में जांच आगे बढ़ाई और 26 जून 2019 को जब दुबई से लौटे रैकवार दंपती को जबलपुर से गिरफ्तार किया, तब छाबड़ा और राजीव शर्मा की चालाकी का खुलासा हुआ था। बाद में उन्हें भी आरोपी बनाया गया था। तब ब्रजेश की पत्नी के खाते में चार करोड़ रुपए मिले थे।

क्या है क्रिप्टोकरेंसी

क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी मुद्रा है। जो कंप्यूटर एल्गोरिथ्म पर बनी होती है। यह एक स्वतंत्र मुद्रा है, जिसका कोई मालिक नहीं होता। यह करेंसी किसी भी एक अथॉरिटी के काबू में भी नहीं होती। अमूमन रुपया, डॉलर, यूरो या अन्य मुद्राओं की तरह ही इस मुद्रा का संचालन किसी राज्य, देश, संस्था या सरकार द्वारा नहीं किया जाता। यह एक डिजिटल करेंसी होती है, जिसके लिए क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग किया जाता है। आमतौर पर इसका प्रयोग किसी सामान की खरीदी या कोई सर्विस खरीदने के लिए किया जाता है।

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