शायद आप नहीं जानते होंगे अखिलेश के अध्यक्ष बनने की यह कहानी
राजनीतिक गलियारों में इस बात की अभी भी चर्चा होती है कि क्या अखिलेश यादव को अध्यक्ष बनाया गया या अखिलेश अध्यक्ष बन गए, आइए आपको बताते हैं इस इनसाइड स्टोरी का असली सच
2017 का वक्त था, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी, अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे और मुलायम सिंह यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्षा
2017 के विधानसभा चुनाव में जाने की तैयारी हो रही थी उसी बीच परिवार में कई कारणों को लेकर विवाद हो गया, जहां एक तरफ शिवपाल सिंह यादव थे वहीं दूसरी तरफ अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव दोनों की तरफ दिखाई देते थे, जब टिकट बंटवारे की बात आई तो अखिलेश नए साफ-सुथरे लोगों को टिकट देना चाहते थे, वही शिवपाल सिंह यादव अपने लोगों को टिकट देना चाहते थे, मुलायम सिंह यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष थे फैसला उनको लेना था मगर भाई और बेटा के बीच में फंसे हुए दिखाई दे रहे थे, उस वक्त के राजनीतिक पंडितों की माने तो राजनीतिक पंडितों का यह मानना था मुलायम सिंह यादव ना तो पूरी तरह से भाई की तरफ जा सकते थे ना तो पूरी तरीके से बेटे की तरफ
फिर आखिर अखिलेश यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष कैसे बने इसके पीछे मुलायम सिंह यादव का वह राजनीति है जिसे धोबी पाठ कहते हैं, आइए आपको बताते हैं कैसे मुलायम सिंह यादव के एक धोबी पाठ से घर के अंदर का जो भी झगड़ा था वह आधा तुरंत खत्म हो गया
उत्तर प्रदेश में मार्च 2017 में विधानसभा का चुनाव होना था और मुख्यमंत्री के रूप में समाजवादी पार्टी की तरफ से दोबारा अखिलेश यादव का चेहरा था, मगर टिकट बंटवारे से लेकर कई अन्य मामले को लेकर परिवार के अंदर काफी अनबन हो चुकी थी परिवार के अंदर ही कई गुट बन चुका था मगर दो प्रमुख गुट तो साफ दिखाई दे रहा था जिसमें एक गुट अखिलेश का था तो दूसरा शिवपाल का
5 जनवरी 2017 को समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया गया इस अधिवेशन में यह चर्चा साफ थी कि इस अधिवेशन में अखिलेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाएगा, वही शिवपाल यादव को जब इस बात का पता चला तो वह फौरन मुलायम सिंह यादव के पास पहुंचे 4 जनवरी 2017 को मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल सिंह यादव के कहने पर एक पार्टी के नेताओं के नाम से पत्र जारी कर दिया, इस पत्र में मुलायम सिंह यादव ने कहा कि जो भी इस अधिवेशन में जाएगा वह पार्टी की अनुशासनहीनता होगी और वह पार्टी का अवहेलना करेगा और उसको पार्टी से निकाल दिया जाएगा
मुलायम सिंह यादव के पत्र लिखने के बाद समाजवादी पार्टी के अंदर एक हलचल मच गई आखिर इस राष्ट्रीय अधिवेशन में कौन जाएगा और कौन मुलायम सिंह यादव के इस पत्र के खिलाफ जाएगा, मगर राजनीतिक पंडितों की मानें तो मुलायम सिंह यादव लिखते कुछ है और इशारा उसका कुछ होता है, जो उनके करीबी होते हैं उनको पता चल जाता है कि मुलायम सिंह यादव का क्या इशारा है, समाजवादी पार्टी के पुराने राजनीतिक नेता समझ चुके थे कि मुलायम सिंह यादव कहना चाहते हैं कि बड़ी से बड़ी संख्या में इस अधिवेशन में पहुंचना है और यही संकेत है और यही नेता जी का आदेश है
क्योंकि समाजवादी पार्टी में अनुशासन और शासन नाम का कभी पत्र मुलायम सिंह यादव ने कार्यकर्ताओं के नाम से लिखा ही नहीं है, क्योंकि कार्यकर्ताओं को भी यह पता है और मुलायम सिंह यादव को भी यह पता है कि उनकी एक आवाज पर कार्यकर्ता एक पैर पर खड़े हो जाएंगे और मुलायम सिंह को पत्र लिखने की कोई जरूरत नहीं है।
ये भी पढ़ें-जानिए क्या अखिलेश करेंगे शिवपाल को बर्थडे wish
मगर राष्ट्रीय अधिवेशन में इस बात पर अड़ंगा लग गया कि आखिर जब राष्ट्रीय अध्यक्ष यानी मुलायम सिंह यादव इस अधिवेशन में नहीं आएंगे तो इसका संचालन कैसे होगा, उस वक्त समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और वरिष्ठ नेता किरणमय नंदा से रामगोपाल यादव की बात हुई, रामगोपाल यादव पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव थे वहीं दूसरी तरफ किरणमय नंदा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
किरणमय नंदा को रामगोपाल यादव ने कहा कि आप समय से लखनऊ के वीवीआईपी गेस्ट हाउस में होने वाले अधिवेशन में पहुंच जाना
उसके बाद वह दिन आ जाता है जो होता है 5 जनवरी 2017 जिस दिन इस अधिवेशन में अखिलेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना था और साइकिल चुनाव चिन्ह अखिलेश को देनी थी, उस दिन मंच सज चुका था और सारे बड़े नेता समाजवादी पार्टी के जो मुलायम सिंह यादव के भी काफी करीबी थे उनमें मंच पर आगे बैठने की होड़ मच जाती है
उसमें पारसनाथ यादव राम गोविंद चौधरी पंडित सिंह अहमद हसन ओमप्रकाश सिंह जैसे तमाम नेता अधिवेशन में पहुंचे थे और मुलायम सिंह यादव के पत्र की अवहेलना करते हुए अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया जाता है।
मुलायम सिंह यादव के धोबी पाठ को ना तो उस वक्त शिवपाल समझ पाए ना तो देश की राजनीतिक पंडित और ना तो उनके दुश्मन सब को यह लगा कि अखिलेश मुलायम सिंह यादव को जबरजस्ती हटाकर खुद अध्यक्ष बन गए हैं मगर मुलायम सिंह यादव के इस धोबी पाठ का खुलासा तब हुआ जब अखिलेश राष्ट्रीय अध्यक्ष बन चुके थे।