पुलिस के टॉर्चर से परेशान युवक ने बाहर आते ही किया सुसाइड, 16 केस कबूल करने का दबाव, प्राइवेट पार्ट पर हमला..

राजस्थान के अलवर जिले में शिवाजी पार्क थाना क्षेत्र से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां 21 वर्षीय युवक अमित सैनी ने पुलिस हिरासत से छूटने के एक दिन बाद 9 जुलाई को ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली। मृतक के साथ हिरासत में लिए गए 16 वर्षीय नाबालिग साथी ने ऐसे चौंकाने वाले आरोप लगाए हैं, जो न सिर्फ पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हैं, बल्कि किशोर न्याय अधिनियम के उल्लंघन की ओर भी इशारा करते हैं।

हिरासत में टॉर्चर: नाबालिग की आपबीती

नाबालिग ने अपने बयान में कहा कि उसे 7 जुलाई को शाम 6 बजे पुलिस ने बिस्किट लेने जाते वक्त पकड़ा और बिना वारंट या समुचित प्रक्रिया के हिरासत में ले लिया।

उसे टेल्को सर्किल स्थित एक निर्माणाधीन मकान पर ले जाकर कबाड़ चोरी के बारे में पूछताछ की गई।

नाबालिग ने बताया कि उसने 5 जुलाई को अमित सैनी के कहने पर कबाड़ उठाया और उसे बेच दिया था।

इसके बाद उसे दुकान पर ले जाकर माल बरामद किया गया और लॉकअप में बंद कर दिया गया, जबकि वह साफ तौर पर नाबालिग था।

उसने बताया कि पुलिस ने उसकी उम्र जबरन 19 साल लिखी, और लॉकअप में बुरी तरह से पीटा गया। एक पुलिसकर्मी ने उसके प्राइवेट पार्ट के बाल उखाड़े और 16 केस कबूल करवाने का दबाव बनाया।

अमित पर भी टॉर्चर का आरोप, नहीं लौटाया गया सामान

नाबालिग के अनुसार, पुलिस ने अमित को भी तीन घंटे बाद लॉकअप में लाकर बंद किया और अलग-अलग कमरों में चार बार पीटा गया।

अमित ने जमानत के बाद घर लौटकर बताया कि पुलिस ने उसका मोबाइल, पर्स और बाइक नहीं लौटाई और 9 जुलाई को फिर थाने बुलाया।

उसी दिन उसने ज़हर खा लिया और अस्पताल में दम तोड़ दिया।

सुसाइड नोट में तीन पुलिसकर्मियों के नाम दर्ज थे, जिन्हें उसने अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया।

दादी की पीड़ा: वकील ने मांगे पैसे, पुलिस ने छीना सबकुछ

अमित की दादी भौती देवी ने कहा कि 8 जुलाई को पुलिस से फोन आया और कहा गया कि “अमित को छुड़वाना है तो वकील भेजो।”

वकील ने ₹2000 लिए और जमानत कराई।

अमित जब घर आया तो रोते हुए बोला कि पुलिस ने पर्स, फोन और बाइक नहीं लौटाई, और पैसे भी ले लिए।

उसने कागज पर कुछ लिखा, खाना खाया और फिर ज़हर खाकर जान दे दी।

कानूनी उल्लंघन और प्रशासनिक लापरवाही

जयपुर हाईकोर्ट के वकील मनु भार्गव ने बताया कि नाबालिग को सीधे पुलिस लॉकअप में रखना अवैध है।

उसे किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश करना चाहिए था।

यदि उसे टॉर्चर किया गया है, तो यह किशोर न्याय अधिनियम, 2015 और मानव अधिकार कानूनों का गंभीर उल्लंघन है।

प्रशासन का जवाब: जांच और कार्रवाई का दावा

अलवर ग्रामीण की एएसपी डॉ. प्रियंका ने कहा कि नाबालिग को लॉकअप में रखना नियमों के खिलाफ है।

उन्होंने कहा कि सीसीटीवी फुटेज की जांच करवाई जाएगी और अगर कोई दोषी पाया गया तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

किशोर न्याय बोर्ड की मजिस्ट्रेट स्वाति पारीक ने पीड़ित को लिखित में शिकायत देने को कहा है ताकि उचित कार्रवाई की जा सके।

 

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