UP: फर्जी दस्तावेज़ से बना सिपाही, पत्नी सबूतों के साथ पहुंची थाने.. फिर हुए एक-एक कर चौंकाने वाले खुलासे !

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के चिनहट क्षेत्र से एक चौकाने वाला मामला सामने आया है। यहाँ एक महिला ने अपने पति, जो सीबीसीआईडी में कार्यरत सिपाही हैं, पर फर्जी हाईस्कूल मार्कशीट प्रस्तुत करके नौकरी लेने का आरोप लगाया। महिला ने शिकायत दर्ज कराई, और पुलिस ने तुरंत FIR दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी।

फर्जी मार्कशीट से छिपाई सच्चाई, भर्ती में मिली थी नौकरी

पत्नी नूरसबा, जो जनकिपुरम की निवासी हैं, ने आरोप लगाया कि उनके पति महताब आलम ने वर्ष 2006 में पुलिस भर्ती के समय अपनी मार्कशीट में जन्मतिथि बदलकर फर्जी दस्तावेज तैयार कराया था। उन्होंने विद्यालय स्तर की असली मार्कशीट छुपाई और परीक्षा योग्य आयु पूरी करने के लिए हेराफेरी की। यह सब करते हुए उन्होंने सीबीसीआईडी मुख्यालय (मल्हौर) में सिपाही के पद पर नौकरी हांसिल की। इस पर चिनहट थाना में मामला दर्ज किया गया।

कानूनी कार्रवाई: दर्ज हुई संगीन धाराएँ

चिनहट के इंस्पेक्टर दिनेश चन्द्र मिश्रा ने बताया कि FIR में आरोप लगाया गया है कि महताब आलम ने कूट रचित दस्तावेज बनाकर धोखाधड़ी की है। पुलिस ने मामले में आरंभिक जांच शुरू कर दी है और शैक्षणिक दस्तावेजों का सत्यापन बलिया के नीरपुर हाई स्कूल व वाराणसी बोर्ड कार्यालय से कराया जा रहा है।

पत्नी का रुख: न्याय की उम्मीद

नूरसबा ने संस्थाओं से अनुरोध किया है कि वे महताब की शिक्षा संबंधी कागज़ों की गहन जांच करें और नौकरी प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी सामने आए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि अगर ये दस्तावेज असली नहीं हैं, तो विभागीय कार्रवाई होनी चाहिए। पुलिस भी उसी दिशा में आगे बढ़ रही है।

प्रभाव: भर्ती में पारदर्शिता पर सवाल

यह मामला यूपी पुलिस भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। फर्जी दस्तावेजों से नौकरी पाना न केवल भर्ती प्रक्रिया की संवेदनशीलता को प्रभावित करता है, बल्कि कर्मचारियों के स्तर पर भरोसा भी हिलाता है।

आगे की राह: क्या कहेंगे अधिकारी और विभाग?

पुलिस की जांच अभी जारी है, और उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में:

  • शिक्षा बोर्ड से रिपोर्ट
  • कौन सी वर्ष की मार्कशीट असली है
  • विभागीय कार्रवाई
  • नौकरी पर बने रहने या बर्खास्तगी

इन सबका स्पष्ट उत्तर राज्य और केंद्रीय स्तर पर मिलेगा।

सत्य सामने आएगा, भरोसा बहेगा

यह मामला न केवल एक परिवार की कहानी है, बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे एक व्यक्ति की सच्चाई समाज में विश्वास और पारदर्शिता को प्रभावित करती है। अपेक्षा है कि जांच निष्पक्ष होगी और फर्जीवाड़ा करने वालों को नुंसखिक और कानूनी सजा मिलेगी।

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