UP: टीचर ने ‘कांवड़’ पर सुनाई ऐसी कविता.. हो गई FIR, बच्चों से बोले – “कोई नहीं बना SSP-DM”

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने धार्मिक और सामाजिक माहौल को हिला दिया है। एक इंटर कॉलेज में पढ़ाने वाले टीचर ने स्टूडेंट्स के सामने कांवड़ यात्रा को लेकर एक कविता पढ़ी, जो कुछ लोगों को आपत्तिजनक लगी। मामला तूल पकड़ता गया और अब उस टीचर के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है।

स्कूल के एसेंबली हॉल में पढ़ी गई विवादित कविता

घटना बरेली के बहेड़ी थाना क्षेत्र स्थित एमजीएम इंटर कॉलेज की है, जहां टीचर रजनीश गंगवार ने स्कूल की एसेंबली के दौरान स्टूडेंट्स के सामने एक कविता पढ़ी। इस कविता में उन्होंने कहा:

“कांवड़ लेने मत जाना, तुम ज्ञान का दीप जलाना…
मानवता की सेवा करके, तुम सच्चे मानव बन जाना…
कांवड़ ले जाकर कोई एसपी-डीएम नहीं बना है…”

टीचर की यह कविता मोबाइल कैमरे में रिकॉर्ड हो गई और देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।

हिंदू संगठनों में फूटा आक्रोश, माहौल बिगाड़ने का आरोप

वीडियो वायरल होते ही हिंदू संगठनों में जबरदस्त आक्रोश फैल गया। संगठन के प्रतिनिधियों का कहना है कि जहां एक ओर पूरे प्रदेश में कांवड़ यात्रा को लेकर भव्य स्वागत हो रहा है, जगह-जगह पुष्प वर्षा की जा रही है और मुख्यमंत्री खुद व्यवस्थाएं देख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर एक शिक्षक भड़काऊ कविता पढ़कर माहौल खराब करने की कोशिश कर रहा है।

हिंदू नेताओं ने इसे हिंदुओं की आस्था का अपमान बताया और तत्काल कार्रवाई की मांग की।

पुलिस ने लिया एक्शन, सुसंगत धाराओं में केस दर्ज

मामला गरमाने के बाद पुलिस हरकत में आई। बहेड़ी के सीओ अरुण कुमार सिंह ने बताया कि:

“एमजीएम इंटर कॉलेज के एक शिक्षक का वीडियो वायरल हुआ है। इस संबंध में 14 जुलाई को तहरीर प्राप्त हुई थी। मामले में IPC की सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया गया है। आगे की कानूनी कार्रवाई जारी है।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मौके पर शांति-व्यवस्था कायम है और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन तैयार है।

समर्थन और विरोध दोनों पक्ष सक्रिय

जहां एक ओर हिंदू संगठनों ने शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, वहीं कुछ लोगों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मामला बताया है। उनका तर्क है कि कविता में कहीं भी सीधे तौर पर किसी विशेष धर्म या व्यक्ति पर हमला नहीं किया गया है।

हालांकि, प्रशासन ने सांप्रदायिक तनाव की संभावना को ध्यान में रखते हुए मामला दर्ज करना उचित समझा।

शिक्षा संस्थानों में धार्मिक टिप्पणियों पर बैन की मांग तेज

यह मामला एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि क्या शिक्षा संस्थानों में धार्मिक या सांप्रदायिक संदर्भ वाली कविताएं, भाषण या विचार साझा करने चाहिए? टीचर का मंच और उसकी जिम्मेदारी यह तय करती है कि बच्चों के समक्ष क्या प्रस्तुत किया जा रहा है।

बरेली के इस मामले ने न केवल एक शिक्षक की नौकरी पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर किया है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी और धार्मिक भावनाओं के बीच संतुलन कैसे कायम किया जाए।

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