हाईकोर्ट भर्ती में मुन्नभाई स्टाइल में चीटिंग.. ब्लूटूथ से नकल कर पा ली नौकरी, ऐसे खुला राज, फिर..

राजस्थान में सरकारी भर्तियों को लेकर एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने राज्य की परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता को कठघरे में खड़ा कर दिया है। इस बार मामला सीधे राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर की 2022 में निकाली गई कनिष्ठ लिपिक सीधी भर्ती परीक्षा से जुड़ा है, जिसमें तकनीक का दुरुपयोग कर नकल करने वाली संगीता बिश्नोई को एसओजी (Special Operations Group) ने गिरफ्तार किया है। हैरानी की बात यह है कि संगीता इस समय देसूरी कोर्ट में सिविल एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट के कार्यालय में कार्यरत थी।

ब्लूटूथ डिवाइस के जरिए की गई हाईटेक नकल

एसओजी के एडीजी वीके सिंह के अनुसार, यह परीक्षा 12 और 19 मार्च 2023 को आयोजित की गई थी, जिसमें संगीता बिश्नोई का परीक्षा केंद्र बीकानेर की आरएनबी यूनिवर्सिटी में था। परीक्षा दोपहर 12 से 2 बजे के बीच संपन्न हुई थी। जांच में यह सामने आया कि संगीता ने ब्लूटूथ डिवाइस की मदद से प्रश्नों के उत्तर प्राप्त किए और परीक्षा में सफलता प्राप्त की।

संगठित नकल गिरोह का मास्टरमाइंड निकला पौरव कालेर

नकल कराने की जिम्मेदारी पौरव कालेर नामक आरोपी ने ली थी, जो एक संगठित नकल गैंग का सरगना बताया जा रहा है। वह सालासर से मोबाइल के माध्यम से ब्लूटूथ डिवाइस के जरिए संगीता को परीक्षा के दौरान ही उत्तर भेज रहा था। यह पूरी योजना पूर्व-नियोजित और तकनीक आधारित थी, जिसमें परीक्षा व्यवस्था की कमजोरियों का खुलकर लाभ उठाया गया।

एसओजी की गहन जांच और तकनीकी सबूतों के आधार पर गिरफ्तारी

एसओजी को जब इस नकल गिरोह की जानकारी मिली, तो उन्होंने इस पर गंभीरता से काम शुरू किया। कॉल डिटेल्स, लोकेशन ट्रैकिंग और तकनीकी विश्लेषण के जरिये यह सिद्ध हो गया कि संगीता और पौरव पहले से संपर्क में थे और परीक्षा के दौरान तकनीक का दुरुपयोग किया गया। इन पुख्ता सबूतों के आधार पर मंगलवार को संगीता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया गया और बुधवार को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया जाएगा।

नकल माफिया का बढ़ता नेटवर्क: व्यवस्था के लिए खतरे की घंटी

यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह इस बात का प्रमाण है कि नकल माफिया हाईटेक गैजेट्स और सेट नेटवर्क के जरिए सरकारी भर्तियों को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर रहे हैं। पौरव कालेर पहले भी कई पेपर लीक और नकल मामलों में चर्चित रह चुका है और एसओजी की निगरानी में रहा है। संगीता की गिरफ्तारी से यह पुष्टि होती है कि भर्ती प्रणाली में तकनीकी हेरफेर संभव है और यह एक सुनियोजित आपराधिक तंत्र के तहत हो रहा है।

भर्ती की पारदर्शिता पर उठे सवाल, योग्य उम्मीदवारों के भविष्य से खिलवाड़

राजस्थान में पहले भी REET, पटवारी, RAS जैसी परीक्षाएं नकल और पेपर लीक के कारण विवादों में रही हैं। ऐसे में यह घटना एक बार फिर न केवल सरकारी भर्ती प्रक्रिया की साख पर सवाल खड़े करती है, बल्कि योग्य उम्मीदवारों के भविष्य के साथ भी अन्याय है। यदि ऐसे तकनीकी माध्यमों से अयोग्य उम्मीदवार चयनित हो रहे हैं, तो यह प्रशासनिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।

एसओजी की पड़ताल जारी, बड़े खुलासों की संभावना

एसओजी की टीम अब इस संगठित गिरोह के नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है। यह देखा जा रहा है कि इस गिरोह का प्रभाव किन-किन स्तरों तक है और कितने उम्मीदवारों ने इसी तरह से तकनीकी सहायता से परीक्षा पास की है। आगे आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां और खुलासे संभव हैं।

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