यमन में भारतीय नर्स ‘निमिषा प्रिया’ को फांसी, लेकिन 1 तरीके से बच सकती है जान.. जानिए क्या है आखिरी उम्मीद ?

यमन में एक भारतीय नर्स – निमिषा प्रिया को 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जा सकती है। यह सदमे की स्थिति तब बनी जब उसे 2017 में यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का दोषी करार दिया गया। अब तक बचाव के प्रयास – विशेष रूप से “ब्लड मनी” (दिया) का भुगतान – विफल रहे हैं। केंद्र और स्थानीय संगठनों द्वारा आखिरी प्रयास किए जा रहे हैं।

घटना की समय-रेखा और आरोप

2008: केरल के पलक्कड़ निवासी निमिषा, बेहतर भविष्य की तलाश में यमन चली जाती है और सरकारी अस्पताल में नर्स की नौकरी करती है।

2014: अपनी क्लिनिक खोलने के लिए वह तलाल अब्दो महदी से साझेदारी करती है। कुछ समय बाद उनके रिश्ते में मतभेद उत्पन्न हो जाते हैं—महदी पर आरोप है कि उसने उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया, धमकाया और शारीरिक-मानसिक उत्पीड़न किया।

जुलाई 2017: पासपोर्ट लौटाने के बहाने वह महदी को सेडेटिव इंजेक्ट करती है, लेकिन अधिक मात्रा में जाने के कारण उसकी मृत्यु हो जाती है। हत्या के बाद शव को टुकड़ों में काटकर पानी की टंकी में डाल दिया जाता है।

मुकदमा, सजा और न्याय व्यवस्था

अगस्त 2017: निमिषा को हत्या और शव नष्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है।

2020: यमन की ट्रायल कोर्ट द्वारा उसे फांसी की सजा सुनाई जाती है, जो बाद में उच्च न्यायालय और सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल द्वारा नवंबर 2023 में स्थायी कर दी जाती है।
16 जुलाई 2025: यमन की हूथी-नियंत्रित अदालत द्वारा फांसी की तारीख निर्धारित की गई है।

ब्लड मनी की प्रक्रिया और रकम

ब्लड मनी यानी दिया: शरिया कानूनों में अपराधी की जान बख्शने के लिए मृतक परिवार को मुआवजे का भुगतान। मौत की सजा के स्थान पर यह एक वैध विकल्प है।

राशि का विवाद: शुरुआत में 40,000 डॉलर (₹34 लाख) दिए गए।

Save Nimisha Priya Action Council ने 1 मिलियन डॉलर (₹8.5 करोड़) तक की पेशकश की, लेकिन मृतक परिवार ने जवाब नहीं दिया।

बातचीत सितंबर 2024 से अटकी हुई है, जिसमें वकील की अग्रिम फीस और पारदर्शिता के मुद्दे हैं।

अंतिम बचाव उपाय और भारत सरकार की भूमिका

मैथडियतन प्रयास:

  • भारत सरकार के MEA (विदेश मंत्रालय) ने बड़ी सक्रियता दिखाई है और यमनी व हूथी अधिकारियों से संपर्क में बनी हुई है।
  • केरल की मां, प्रेमा कुमारी, लगभग एक वर्ष से यमन में रहकर वार्ताओं में जुटी हुई हैं।
  • सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल पहले ही राशि जुटाकर दी थी, लेकिन अगली किश्त के मुद्दे पर वार्ता ठप है।

भविष्य की रणनीति और आशाएं

समय कम हो रहा है: तारीख 16 जुलाई पास है, लेकिन अभी तक मृतक परिवार की मंज़ूरी नहीं मिली है।

राजनयिक दबाव: भारत और यमन के मान्यता प्राप्त सरकार के बीच अंतर, व हूथी नियंत्रण वाले क्षेत्रों के बीच कूटनीतिक समझ की कमी के कारण प्रक्रिया जटिल है।

अंतिम रास्ता: यदि मृतक परिवार ने “ब्लड मनी” स्वीकार कर ली, तो फांसी से अपनी जान बचने की संभावना बनी रह सकती है।

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