अमेरिका में भगोड़ी ‘मोनिका कपूर’ गिरफ्तार.. CBI ने ऐसे बिछाया जाल, 25 साल से फरार.. जानिए पूरा मामला

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को 25 साल बाद एक बड़ी कामयाबी मिली है। बहुचर्चित आयात-निर्यात धोखाधड़ी मामले की मुख्य आरोपी और कथित आर्थिक अपराधी मोनिका कपूर को अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद भारत लाया गया है। मोनिका पर 1998 में करोड़ों की धोखाधड़ी का आरोप है और वह 1999 से फरार थी। अब CBI की टीम ने उसे अमेरिकी अधिकारियों के सहयोग से भारत वापस लाकर कानून के कटघरे में खड़ा कर दिया है।
कौन है मोनिका कपूर और क्या हैं उस पर लगे आरोप ?
मोनिका कपूर दिल्ली स्थित आयात-निर्यात कंपनी M/s मोनिका ओवरसीज की मालकिन थी। CBI की जांच के मुताबिक, उसने अपने दो भाइयों, राजन खन्ना और राजीव खन्ना, के साथ मिलकर 1998 में भारी धोखाधड़ी की। इस साजिश में इन्होंने जाली शिपिंग बिल, फर्जी इनवॉइस और नकली बैंक सर्टिफिकेट तैयार किए, जिससे 6 रीप्लेनिशमेंट लाइसेंस प्राप्त किए गए। इन लाइसेंसों के जरिए इन्होंने ड्यूटी-फ्री सोने का आयात किया और उसे अहमदाबाद की दीप एक्सपोर्टर्स को प्रीमियम पर बेच दिया।
भारतीय खजाने को हुआ भारी नुकसान
CBI के अनुसार, इस आयात-निर्यात धोखाधड़ी से भारत सरकार के खजाने को लगभग 1.44 करोड़ रुपये (लगभग 6.79 लाख अमेरिकी डॉलर) का सीधा नुकसान हुआ। मामले में जाली दस्तावेजों के जरिए शुल्क मुक्त सोने के लाइसेंस प्राप्त किए गए, जिससे सरकार को राजस्व हानि पहुंचाई गई। धोखाधड़ी की यह रकम भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण केस में मुख्य आधार बनी रही।
1999 में अमेरिका भाग गई थी मोनिका, 2006 में घोषित हुई भगोड़ी
धोखाधड़ी का मामला सामने आने के बाद मोनिका कपूर 1999 में अमेरिका भाग गई थी। CBI ने इस केस की जांच पूरी करने के बाद 31 मार्च 2004 को चार्जशीट दाखिल की थी। दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 20 दिसंबर 2017 को राजन और राजीव खन्ना को दोषी करार दिया, जबकि मोनिका मुकदमे में कभी पेश नहीं हुई। नतीजतन, 13 फरवरी 2006 को उसे भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया गया और 2010 में रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया।
14 साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद मिला प्रत्यर्पण
भारत सरकार ने अक्टूबर 2010 में अमेरिका से मोनिका के प्रत्यर्पण की आधिकारिक मांग की। इसके बाद लगभग 14 साल तक कानूनी प्रक्रिया चली। न्यूयॉर्क की ‘यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट फॉर द ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट ऑफ न्यूयॉर्क’ ने अंततः भारत-अमेरिका द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि के तहत मोनिका के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी। मोनिका ने अपने बचाव में दावा किया था कि भारत में लौटने पर उसे प्रताड़ना झेलनी पड़ सकती है, जो संयुक्त राष्ट्र यातना विरोधी सम्मेलन और FARRA (Foreign Affairs Reform and Restructuring Act, 1998) का उल्लंघन होगा। हालांकि, अमेरिकी विदेश सचिव ने इन आशंकाओं को खारिज करते हुए प्रत्यर्पण आदेश को मंजूरी दी।
CBI की विशेष टीम अमेरिका पहुंची, किया गिरफ्तार
CBI ने अमेरिकी अधिकारियों के साथ मिलकर मोनिका को हिरासत में लेने के लिए एक विशेष टीम अमेरिका भेजी। टीम ने उसे अमेरिकन एयरलाइंस की एक फ्लाइट से भारत लाने की प्रक्रिया पूरी की, जो बुधवार रात भारत पहुंचने की संभावना है। CBI ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, “यह प्रत्यर्पण न्याय की खोज में एक बड़ी सफलता है और यह CBI की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि भगोड़ों को अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के बावजूद भारत में कानून के कटघरे में लाया जाएगा।”
अब क्या होगा ? अदालत में पेशी तय
भारत पहुंचने के बाद मोनिका कपूर को संविधान के तहत संबंधित अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा। वहां उसे CBI द्वारा लगाए गए आर्थिक अपराधों के आरोपों का सामना करना होगा। CBI ने स्पष्ट किया है कि वह आर्थिक अपराधों और भगोड़ों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की अपनी नीति पर कायम है।