बिहार में महागठबंधन का शक्ति प्रदर्शन ! राहुल-तेजस्वी ने कर दिया बड़ा खेला.. तस्वीरें देख हर कोई दंग

बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी के बीच महागठबंधन ने चुनाव आयोग द्वारा चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR)—मतदाता सूची अद्यतन में कथित पक्षपात के विरोध में पूरे राज्य में बंद का आह्वान किया। विपक्ष ने इसे “लोकतंत्र विरोधी” बताया और निष्पक्षता की मांग की।
चक्का जाम और विरोध प्रदर्शन
पटना के इनकम टैक्स चौराहा से शुरू हुआ प्रदर्शन, जहाँ कांग्रेस नेता राहुल गांधी और RJD नेता तेजस्वी यादव ने भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाए, सड़कें और रेलवे ट्रैक जाम किए, और मांग जताई कि वोटर लिस्ट एडिटिंग में ब्लूनियर्स के लिए छूट न मिले।
प्रभावित क्षेत्र और यातायात बाधित
प्रदर्शन की वजह से पटना सहित पांच शहरों में ट्रेनों को रोका गया और 12 राष्ट्रीय हाईवे जाम किए गए—समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, भोजपुर, दरभंगा सहित कई जगह प्रदर्शनकारी बैठे रहे। स्थानीय लोगों ने यातायात ठप होने का दर्द साझा किया।
राजनीतिक पारा और विपक्ष की चिंताएं
महागठबंधन आरोप लगा रहा है कि रिवीजन प्रक्रिया गरीब और प्रवासी वोटरों को निशाना बना सकती है। RJD नेता तेजस्वी यादव ने इसे “वोटबंदी की साजिश” बताया। वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अभीना ने इसे “असंवैधानिक कदम” करार दिया और पूरे देश में आंदोलन की धमकी दी।
चुनाव आयोग का पक्ष और SIR का विवरण
चुनाव आयोग ने कहा कि SIR का उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध और निष्पक्ष बनाना है। अब तक 47% फॉर्म जमा हो चुके हैं और 3.7 करोड़ फॉर्म एकत्र किए गए। आयोग ने आश्वासन दिया कि कोई गैर–भारतीय मतदाता सूची में नहीं रहेगा।
न्यायिक विवेचना और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
SIR प्रक्रिया को लेकर विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। अदालत 10 जुलाई को इस मामले में सुनवाई करेगी। वरिष्ठ वकील Kapil Sibal ने ‘4 करोड़ नामों के लिए फॉर्म दायर करना असंभव’ कहा, और दस्तावेजों की स्वीकार्यता पर सवाल उठाए ।
आंदोलन और मतदान की रणनीति
महागठबंधन ने यह बंद आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्षी राजनीतिक रणनीति का अहम हिस्सा बताया है—जो “Bihari pride” और चुनाव प्रक्रिया के स्वतंत्रता पर केंद्रित है। वहीं, चुनाव आयोग और सरकार इस कदम की वैधता पर भरोसा जताते रहे।
लोकतांत्रिक अधिकार और राजनीतिक टकराव
मतदाता सूची के इस विवाद ने लोकतांत्रिक अधिकार पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है। क्या वोटर एडिटिंग प्रक्रिया निष्पक्ष होगी? क्या गरीब और प्रवासी वोटरों के मताधिकार सुरक्षित रहेंगे? अब इस पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और प्रतिरोध प्रदर्शन के बीच बिहार की राजनीति एक निर्णायक मोड़ पर है।