Shocking: यमन में “16 जुलाई” को दी जाएगी भारतीय नर्स को फांसी! कौन हैं निमिषा प्रिया और क्या है पूरा मामला?

केरल की रहने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में एक स्थानीय नागरिक की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है। अब खबर है कि उन्हें 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जाएगी। इस खबर से भारत समेत पूरी दुनिया में चिंता की लहर दौड़ गई है।

कौन हैं निमिषा प्रिया? भारत से यमन तक का सफर

निमिषा प्रिया केरल की मूल निवासी हैं और उनकी उम्र 37 वर्ष है। वह वर्ष 2008 में अपने माता-पिता की आर्थिक मदद के लिए यमन गई थीं। वहां उन्होंने कई अस्पतालों में काम किया और बाद में खुद का एक निजी क्लिनिक भी खोला।

व्यापार साझेदारी बनी विवाद की शुरुआत

वर्ष 2014 में निमिषा का संपर्क यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी से हुआ। यमन के नियमों के अनुसार, वहां विदेशी नागरिकों को व्यापार करने के लिए किसी स्थानीय नागरिक के साथ साझेदारी करनी होती है। इसी कारण निमिषा और तलाल के बीच व्यवसायिक संबंध बने।

व्यक्तिगत विवाद और कानूनी लड़ाई

कुछ समय बाद दोनों के बीच किसी बात को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ। निमिषा ने तलाल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद तलाल को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद घटनाक्रम और भी गंभीर होता चला गया।

ओवरडोज इंजेक्शन और हत्या का आरोप

निमिषा के परिवार का दावा है कि उन्होंने तलाल को बेहोशी का इंजेक्शन दिया था ताकि वह अपना जब्त पासपोर्ट वापस ले सकें। हालांकि, यह दावा किया गया कि दवा की ओवरडोज के कारण तलाल की मौत हो गई।

शव के टुकड़े कर पानी की टंकी में फेंकने का आरोप

मामला तब और भयानक हो गया जब आरोप लगा कि निमिषा और उनकी सहयोगी हनान ने तलाल के शव के टुकड़े किए और उन्हें एक पानी की टंकी में फेंक दिया। इस आरोप ने पूरी यमन सरकार और मीडिया को हिला कर रख दिया।

गिरफ्तारी और सजा

देश से भागने की कोशिश करते समय निमिषा को गिरफ्तार कर लिया गया। वर्ष 2018 में यमन की अदालत ने उन्हें हत्या का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई। अब खबर है कि उन्हें 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जाएगी।

भारत सरकार और सामाजिक संगठनों की कोशिशें

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सामाजिक कार्यकर्ता और कई मानवाधिकार संगठन भारत सरकार से अपील कर रहे हैं कि वह यमन सरकार से इस सजा पर पुनर्विचार करने की मांग करे। निमिषा की मां और परिजन भी राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की अपील कर चुके हैं।

“ब्लड मनी” के जरिए राहत की संभावना

कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, यमन में “ब्लड मनी” की परंपरा के तहत अगर मृतक के परिवार को आर्थिक क्षतिपूर्ति दी जाती है, तो सजा को माफ किया जा सकता है। सामाजिक कार्यकर्ता इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं, लेकिन समय बेहद कम बचा है।

समय के खिलाफ दौड़

निमिषा प्रिया का मामला न सिर्फ कानूनी जटिलताओं का प्रतीक है, बल्कि यह एक अंतरराष्ट्रीय मानवीय मुद्दा भी बन चुका है। 16 जुलाई की तारीख तेजी से नजदीक आ रही है और अब यह देखना होगा कि क्या भारत सरकार, सामाजिक संगठनों और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के प्रयासों से निमिषा को कोई राहत मिल पाएगी या नहीं।

 

 

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